देहरादून: सरकार ने नये साल यानी 2024 के लिए छुट्टियों का कैलेंडर जारी कर दिया है। इस कैलेंडर में सरकार ने लोकपर्व ईगास (बग्वाल), हरेला और वीर केशरीचंद के शहीद दिवस की छुट्टियां भी शामिल की हैं।
डॉ. मोहन चंद तिवारी
चार दिवसीय छठ पूजा महापर्व की शुरुआत आज 28 अक्टूबर को नहाय खाय से हो रही है. भगवान् सूर्य और छठी माता को समर्पित महापर्व छठ हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. इस लोक पर्व में स्वास्थ्य, सफलता, सौभाग्य संतान प्राप्ति और दीर्घायु के लिए पूरे 36 घंटे का निर्जला उपवास किया जाता है.
राजधानी दिल्ली में पूर्वांचल के महापर्व छठपूजा की तैयारियां पिछले एक सप्ताह से जोर शोर से चल रही थीं. दिल्ली सरकार द्वारा नदी घाटों और जल संस्थानों को सुधारने संवारने का काम तेजी से किया जा रहा था. इस वर्ष यह पर्व 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मनाया जायेगा. आज 28 अक्टूबर से चार दिनों तक चलने वाला छठ पर्व 'नहाय खाय' के साथ शुरु हो चुका है. 29 अक्टूबर को 'खरना', 30 अक्टूबर को 'सांझ का अर्ध्य' और 31 अक्टूबर को सूर्य को 'सुबह का अर्ध्य' के साथ ये त्योहार संपन्न ह...
चन्द्रशेखर तिवारी
मनुष्य का जीवन प्रकृति के साथ अत्यंत निकटता से जुड़ा है। पहाड़ के उच्च शिखर, पेड़-पौंधे, फूल-पत्तियां, नदी-नाले और जंगल में रहने वाले सभी जीव-जन्तुओं के साथ because मनुष्य के सम्बन्धों की रीति उसके पैदा होने से ही चलती आयी है। समय-समय पर मानव ने प्रकृति के साथ अपने इस अप्रतिम साहचर्य को अपने गीत-संगीत और रागों में भी उजागर करने का प्रयास किया है।
उत्तराखंड
पीढ़ी-दर-पीढ़ी अनेक लोक so गीतों के रुप में ये गीत समाज के सामने पहुंचते रहे। उत्तराखण्ड के पर्वतीय लोकगीतों में वर्णित आख्यानों को देखने से स्पष्ट होता है कि स्थानीय लोक ने प्रकृति में विद्यमान तमाम उपादानों यथा ऋतु चक्र,पेड़-पौधों, पशु-पक्षी,लता,पुष्प तथा नदी व पर्वत शिखरों को मानवीय संवेदना से जोड़कर उसे महत्वपूर्ण स्थान दिया है।
उत्तराखंड
लोकगीतों वर्णित बिम्ब एक अलौकिक but और विशिष्ट सुख का आभास कराते हैं। मा...
अशोक जोशी
देवभूमि, तपोभूमि, हिमवंत, जैसे कई पौराणिक नामों से विख्यात हमारा उत्तराखंड जहां अपनी खूबसूरती, लोक संस्कृति, लोक परंपराओं धार्मिक तीर्थ स्थलों के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है, तो वहीं यहां के लोक पर्व भी पीछे नहीं, जो इसे ऐतिहासिक दर्जा प्रदान करने में अपनी एक अहम भूमिका रखते हैं. हिमालयी, धार्मिक व सांस्कृतिक राज्य होने के साथ-साथ देवभूमि उत्तराखंड को सर्वाधिक लोकपर्वों वाले राज्य के रूप में भी देखा जाता है. विश्व भर में कोई त्यौहार जहां वर्ष में सिर्फ एक बार आते हैं तो वही हरेला जैसे कुछ लोक पर्व देवभूमि में वर्ष में तीन बार मनाए जाते हैं. हरेला लोक पर्व उत्तराखंड में मनाया जाने वाला एक हिंदू पर्व है, जो विशेषकर राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में अधिक प्रचलित है. कुछ लोगों के द्वारा चैत्र मास के प्रथम दिन इसे बोया जाता है, तथा नवमी के दिन काटा जाता है. तो कुछ जनों के द्वारा साव...