टैगोर का शिक्षादर्शन-‘असत्य से संघर्ष और सत्य से सहयोग’
रवीन्द्रनाथ टैगोर के जन्मदिन पर विशेष
डॉ. अरुण कुकसाल
‘किसी समय कहीं एक चिड़िया रहती थी. वह अज्ञानी थी. वह गाती बहुत अच्छा थी, लेकिन शास्त्रों का पाठ नहीं कर पाती थी. वह फुदकती बहुत सुन्दर थी, लेकिन उसे तमीज नहीं थी.
राजा ने सोचा ‘इसके because भविष्य के लिए अज्ञानी रहना अच्छा नहीं है’....उसने हुक्म दिया चिड़िया को गंभीर शिक्षा दी जाए.
कोविड
पंडित बुलाए गए और वे इस निर्णय पर पंहुचे कि चिड़िया की शिक्षा के लिए सबसे जरूरी हैः एक पिंजरा. और फिर पिंजरे में रखकर चिड़िया ज्ञान पाने लगी. लोगों ने कहा so ‘चिड़िया के तो भाग्य जगे !’..........
‘महाराज, because चिड़िया की शिक्षा पूरी हो गई’.
राजा ने पूछा, but ‘वह फुदकती है ?
भतीजे-भानजों because ने कहा, ‘नहीं !’
‘उड़ती so है ?’
‘एकदम नहीं !’
‘चिड़िया लाओ,’ butराजा ने आदेश दिया.
कोविड
चिड़िया लाई गई. उसकी सुरक्षा में because कोतवाल, सिपाही और...