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‘मेरो पहाड़’ में हरसिंह मनराल

‘मेरो पहाड़’ में हरसिंह मनराल

पुस्तक-समीक्षा
पुस्तक समीक्षा कृपाल सिंह शीला प्रकृति प्रेमी हरसिंह मनराल जी का बचपन गाँवों में बीता है. पहाड़ से उनकी यादें जुड़ी हैं. उन्हें अपने गाँव से आज भी उतना ही लगाव, प्रेम है, जितना गाँव में निवासित लोगों के दिलों में है. पहाड़ की जड़ों से जुड़े दिल्ली प्रवासी श्री हरसिंह मनराल जी सहज सरल व मिलनसार प्रवृति के इंसान हैं. उनका सहज सरल व्यवहार आज भी लोगों को उनसे जोड़े रखता है. पहाड़ में बिताये बचपन की यादों को अपनी पुस्तक ‘मेरो पहाड़’ में एक पुराने संस्मरण के रूप में संजोने का अनूठा प्रयास है. ‘मेरो पहाड़’ पुस्तक में लिखे गये संस्मरण में पहाड़ की सुंदरता, प्राकृतिक संसाधन व जलश्रोत, ग्रामीण अंचलों के मेले, यात्रा वृतांत पहाड़ की जीवन शैली का बखूबी सजीव चित्रण प्रस्तुत किया है. ‘चार मास का बाँस’ संस्मरणात्मक लेख में श्री हरसिंह मनराल जी द्वारा अपने कष्टमय और अभावों भरे प्रारम्भिक जीवन का ...