Tag: मानसरोवर

कच्चे रास्ते पक्के सबक – दीपा तिवारी

कच्चे रास्ते पक्के सबक – दीपा तिवारी

पुस्तक-समीक्षा
कैलास मानसरोवर यात्रा पर एक उपयोगी यात्रा-पुस्तक डॉ. अरुण कुकसाल कैलास पर्वत (ऊंचाई समुद्रतल से 22,028 फीट) और मानसरोवर (ऊंचाई समुद्रतल से 14,950 फीट) हिन्दू, बोनपा, बौद्ध और जैनियों की आस्था के सर्वोच्च तीर्थस्थल हैं. हिन्दुओं के लिए यह शिव का विराट रूप है. तिब्बत के बोनपा यहां स्वास्तिक में विराजमान अपने देवों दैमचौक और दोरजे फांगमो के दर्शन करते हैं. because बौद्ध बुद्ध की तपस्थली और जैन प्रथम तीर्थकर ऋषभदेव की निर्वाण भूमि यहां मानते हैं. जीवनदायनी नदियां करनाली, सतलज, ब्रह्मपुत्र और सिन्धु नदियों का उद्गम क्षेत्र यही है. ज्योतिष एक आम हिन्दू, तिब्बती, जैन और बौद्ध व्यक्ति के लिए कैलास - मानसरोवर जाना मन की संपूर्ण मनोकामनाओं का तर जाना है. हिमालय प्रेमी और घुमक्कड़ों के लिए because कैलास - मानसरोवर की यात्रा जीवन की अमूल्य निधि को हासिल करना है. वर्षों से मेरा भी ख़्वाब है क...
महात्मा रामरत्न थपलियाल-एक गुमनाम संत और वैज्ञानिक

महात्मा रामरत्न थपलियाल-एक गुमनाम संत और वैज्ञानिक

स्मृति-शेष
डॉ. अरुण कुकसाल महात्मा रामरत्न थपलियाल जी की लिखित सन् 1930 में प्रकाशित पुस्तक 'विश्वदर्शन' को पढ़कर दो बातें एक साथ मेरे मन-मस्तिष्क में कौंधी, कि हम कितना कम जानते हैं अपने आस-पास के परिवेश को, और अपनों को. दूसरी बात कि हमारे स्थानीय समाज में अपने घर-परिवार-इलाके-समाज के व्यक्तित्वों की विद्वता एवं उनके प्रयासों-कार्यों को यथोचित सहयोग-सम्मान देने की मनोवृत्ति क्यों नहीं विकसित हो पाई है? 'विश्वदर्शन' किताब दार्शनिक जगत की बहुचर्चित रचना है. विश्चस्तर पर यह पुस्तक जानी जाती है. 'महात्मा गांधी', 'महामना मदन मोहन मालवीय', 'रवीन्द्रनाथ टैगोर', 'पुरुषोत्तम दास टंडन', 'महिर्षि अरविन्द', आदि ने इस किताब पर महत्वपूर्ण प्रशंसनीय टिप्पणियां दी हैं. उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जनपद के कल्जीखाल विकासखंड के 'चिलोली' गांव में सन् 1901 में जन्मे, बड़े हुए और आजीवन अपने गांव में रहे महात्मा रामरत्...