Tag: माघ मेला

उत्तरकाशीः जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने किया वॉलीबॉल प्रतियोगिता का शुभारंभ

उत्तरकाशीः जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने किया वॉलीबॉल प्रतियोगिता का शुभारंभ

उत्तराखंड हलचल
उत्तरकाशी: इन दिनों उत्तरकाशी में माघ मेले का आयोजन चल रहा है। मेले के तहत खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जा रहा है, जिसकी थीम नशे को हां, जिंदगी को ना रखी गई है। दीपक बिजल्वाण ने वॉलीबॉल प्रतियोगिता का शुभारंभ किया। ऐतिहासिक एवं पौराणिक माघ मेला उत्तरकाशी के अंतर्गत, युवाओं में खेल / क्रीड़ा संबंधित गतिविधियों को बढ़ावा देने व नशे से दूर रहने का संदेश देने हेतु राजकीय कीर्ति इंटर कॉलेज प्रांगण उत्तरकाशी में हुए मैच के दौरान दीपक बिजल्वाण ने कहा कि उनका लक्ष्य युवाओं को नशे दूर रखना है। उन्होंने कहा कि खेल ही वह उपाय है, जिसके जरिए युवाओं को नशे से दूर रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि खेल प्रतियोगिताओं में सभी युवाओं हिस्सा लेना चाहिए।...
उत्तरकाशी: माघ मेले की तैयारियां शुरू, जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने ली बैठक

उत्तरकाशी: माघ मेले की तैयारियां शुरू, जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने ली बैठक

उत्तराखंड हलचल
उत्तरकाशी:  पौराणिक माघ मेला 2024 की तैयारियों को लेकर जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण ने जिलापंचायत सदस्यों एवं रेखीय विभागों के साथ अहम बैठक ली। माघ मेले में स्वयं सहायता समूह के द्वारा स्टॉल लगाकर स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जाएगा। संस्कृति के क्षेत्र में उभरते स्थानीय कलाकारों को मंच प्रदान किया जाएगा। जोशियाड़ा झील में पर्यटन विभाग द्वारा साहसिक खेलों का आयोजन किया जाएगा। अध्यक्ष बिजल्वाण ने माघ मेले के दौरान विद्युत व पानी की निर्विवाद आपूर्ति सुनिश्चित रखने के निर्देश संबंधित विभागों को दिए। पुलिस सुरक्षा व्यवस्था हेतु मेले परिसर में पुलिस कंट्रोलरूम, खोया-पाया केंद्र एवं सीसीटीवी कैमरे स्थापित करने के निर्देश दिए साथ ही शहर में मेले के दौरान दो-चार पहिया वाहनों की आवाजाही यातायात डायवर्जन हेतु पूर्व के भांति रखने के निर्देश दिए। सम्पूर्ण माघ मेले के दौरान एवं मकर संक्रांत...
गांव की रामलीला से ही आरंभ हुआ रंगकर्म का सफर

गांव की रामलीला से ही आरंभ हुआ रंगकर्म का सफर

संस्मरण
रंग यात्रा भाग—2 महावीर रवांल्टा अपने दोनों गांवों में नाटक एवं रामलीला की प्रस्तुति,लेखन, अभिनय, उद्घोषणा के साथ ही पार्श्व में अनेक जिम्मेदारियों के निर्वाहन के बाद पढ़ाई के लिए उत्तरकाशी में होने के कारण मैंने वहां रंगकर्म के क्षेत्र में उतरने का मन बना लिया और पूरे आत्मविश्वास के साथ शुरुआत भी की. जिससे मैंने कुछ नाटकों में अभिनय व निर्देशन के माध्यम से उत्तरकाशी के रंग इतिहास में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी थी. उत्तरकाशी में मैंने मुनारबन्दी (1985, महावीर रवांल्टा) बालपर्व (1985,डा अरविंद गौड़) समानांतर रेखाएं (1987, सत्येन्द्र शरत) दो कलाकार (1987, डा भगवती चरण वर्मा) नाटकों में अभिनय के साथ ही उनका निर्देशन भी किया तथा माघ मेला 1987 में वीरेंद्र गुप्ता के निर्देशन में मंचित संजोग(सतीश डे) में मुख्य भूमिका निभाने का अवसर भी मिला. इसके बाद काला मुंह (डा. गोविन्द चातक) हेमलेट(...