दक्षिणी राज्यों का दबाव नहीं बल्कि राजनीतिक साजिश का शिकार हुई हिन्दी
हिन्दी दिवस (14 सितंबर) पर विशेष
भुवन चन्द्र पन्त
सामान्य हिन्दी प्रेमी के मानस पर यह प्रश्न अवश्य उभरता होगा कि जब भारत सम्प्रभु राष्ट्र है, इसका अपना संविधान है, जो हमारी संविधान सभा द्वारा स्वयं तैयार किया गया, 100 करोड़ से भी अधिक लोग हिन्दी जानते हैं और हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने के पक्षधर हैं, फिर वे कौन से कारण हैं, जो आजादी के 73 साल बाद भी हम हिन्दी को राष्ट्रभाषा का सम्मान नहीं दे पाये. सोचना स्वाभाविक है, जब देश धारा 370 जैसे विवादित अनुच्छेद को समाप्त कर सकता है तो हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा देने के because लिए संवैधानिक संशोधन में अड़चन क्या है?
आम
आम हिन्दी प्रेमी हो अथवा सत्ता पर बैठे राजनेता हिन्दी को राष्ट्रभाषा का सम्मान न मिलने पर अपनी व्यथा व्यक्त करते नहीं चूकते, विशेष रूप से हिन्दी दिवस soके मौके पर. जब सत्ता में बैठे लोग ही हिन्दी को राष्ट्रभाषा क...