Tag: मसूरी गोलीकांड

राज्य आंदोलन में हमारी नारी शक्ति की बड़ी भूमिका : मुख्यमंत्री

राज्य आंदोलन में हमारी नारी शक्ति की बड़ी भूमिका : मुख्यमंत्री

देहरादून
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मसूरी गोलीकांड की 30वीं बरसी पर शहीदों दी श्रद्धाजंलि मसूरी गोलीकांड की 30 वीं बरसी के अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मसूरी के शहीद स्मारक पहुंचकर शहीद आंदोलनकारियों को नमन किया एवं उनकी प्रतिमा पर श्रद्धाजंलि अर्पित की. इस अवसर पर 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था लागू किये जाने पर राज्य आंदोलनकारियों की ओर से मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया गया. उन्होंने कहा कि हमारे राज्य आंदोलनकारियों ने अपनी जान की परवाह किये बिना अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया. उन्होंने कहा कि शहीद आंदोलनकारियों ने जो सपने उत्तराखंड के लिए देखे थे, उन्हें पूरा करने का कार्य राज्य सरकार कर रही है. उन्होंने कहा कि 1 सितंबर को खटीमा कांड, 2 सितंबर को मसूरी और 2 अक्टूबर को रामपुर तिराहा कांड हुआ, ये तीनों दिन हमारे राज्य के इतिहास में एक काले अध्याय के रूप में दर्ज हैं. उन्हो...
मसूरी गोलीकांड : इतिहास का वह काला दिन!

मसूरी गोलीकांड : इतिहास का वह काला दिन!

देहरादून
डॉ हरीश चन्द्र अन्डोला आज मसूरी गोलीकांड की 30वीं बरसी है. दो सितंबर का दिन आज भी मसूरीवासियों की धड़कनें तेज कर देता है. आंदोलन की अलख जगाने के लिए पुरुषों के साथ महिलायें भी राज्य आंदोलन में कूद पड़ी. राज्य आंदोलन के इतिहास के पन्नों में दो सितंबर 1994 का दिन बहुत ही खास है. ये वो दिन है जिसे याद कर आज भी लोगों के शरीर में सिहरन-सी दौड़ जाती है. 1994 में उत्तराखंड राज्य के लिए पूरे प्रदेश में आंदोलन चल रहा था. खटीमा गोलीकांड के अगले ही दिन 2 सितम्बर, 1994 को मसूरी गोलीकांड हुआ था. खटीमा की घटना के विरोध में मसूरी में मौन जुलूस निकाल रहे राज्य आंदोलनकारियों पर पुलिस और पीएसी ने ताबड़तोड़ गोलियां बरसाकर 7 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था. ऐसे में फायरिंग के कारण शांत रहने वाले मसूरी की आबोहवा में बारूद की गंध फैल गई थी. उत्तराखंड राज्य आंदोलन में मसूरी की भूमिका को कभी भुलाया नहीं जा सकता ह...