Tag: मणिपुर

जनादेश का आशय : जनता क्या चाहे?

जनादेश का आशय : जनता क्या चाहे?

समसामयिक
प्रो. गिरीश्वर मिश्र  इसमें कोई संदेह नहीं कि गोवा के सागर तट , उत्तराखंड के पहाड़ , उत्तर प्रदेश कि गंगा-जमुनी मैदान और पूर्वोत्तर भारत में पर्वत-घाटी वाले मणिपुर से आने वाले चुनाव परिणामों से भारतीय जनता पार्टी की छवि राष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त और ऊर्जावान राजनैतिक दल के रूप में निखरी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक नायक के रूप स्वीकृति पर फिर मुहर लगी है. इस तरह के स्पष्ट राष्ट्रव्यापी जन-समर्थन को मात्र संयोग कह कर कमतर नहीं आंका जा सकता  और  न इसे जाति, धन because और धर्म के आधार पर ही समझा जा सकता है. इसे दिशाहीन विपक्ष की मुफ़्त की सौग़ात भी कहना उचित न होगा क्योंकि जहां पंजाब के परिणाम वहाँ की सरकार के विरुद्ध गए हैं और विपक्ष को पूरा अवसर मिला था उसके ठीक विपरीत भाजपाशासित प्रदेशों में मिले मुखर जनादेश शासन में आम जन का भरोसा और विश्वास को प्रकट करते हैं. साथ साथ ही वे यह...
राजनीति में अदला बदली

राजनीति में अदला बदली

समसामयिक
भाग—2 डॉ. रुद्रेश नारायण मिश्र  राजनीति में परिवर्तन आंतरिक अंतर्विरोध के कारण भी होता है. यह अंतर्विरोध पार्टी विशेष कम होकर व्यक्तिगत रूप में ज्यादा दिखता है, जब एक प्रभावशाली नेता अपनी ही पार्टी से संबंध विच्छेद कर दूसरी पार्टी में शामिल हो जाता है. उस वक्त नेता के समर्थक जितने भी सांसद/विधायक होते हैं, वह भी विरोधी हो जाते हैं. ऐसे में राजनीति की परिवर्तनशील प्रक्रिया चरित्रहीन हो जाता है. जिससे स्थिति अस्थिर हो जाती है और यह अस्थिरता राजनीति के उन सवालों को खड़ा करता है, जिसे देखने की कोशिश कभी संवैधानिक रूप में हुई ही नहीं. इसके कई उदाहरण अलग-अलग राज्यों के राजनीतिक उतार-चढ़ाव में मिल जाता है. इसलिए जिस राजनीति में आत्ममंथन की जरूरत है, कारणों की समीक्षा की जरूरत है, वहां सिर्फ राजनीतिक आलोचनाओं के अलावा कुछ नहीं है. आरोप-प्रत्यारोप के बीच राजनीतिक नैतिकता खत्म होती नजर ...