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बहुत सुखद है नीलम जी के वैचारिक मंथन द्वारा समस्त ब्रह्माण्ड की यात्रा अपने भीतर ही कर लेना

बहुत सुखद है नीलम जी के वैचारिक मंथन द्वारा समस्त ब्रह्माण्ड की यात्रा अपने भीतर ही कर लेना

पुस्तक-समीक्षा
सुनीता भट्ट पैन्यूली हर मन की अपनी अवधारणा होती है और हर दृष्टि की अपनी मिल्कियत किंतु कुछ  इस संसार को मात्र देखते नहीं हैं इस पर प्रयोग भी करते हैं. यह भी सत्य है कि हम सभी अपने-अपने दृष्टिकोण के अनुसार अपनी ज़िंदगी और आस- पास के परिदृश्यों का आंकलन करते हैं. नीलम जी के काव्य संकलन “हर दरख़्त में स्पंदन” पढ़कर मुझे यह अनुभूति हुई कि ध्यान देने वाली आंखों के लिए प्रत्येक क्षण का रसास्वादन करना है. एक ही क्षण की वह ध्यान मग्न आंखें विभाजित तस्वीर देखती हैं. यद्यपि जीवन का संपूर्ण वितान सौंदर्यजनक नहीं होता है इसमें कुछ हाशिए पर पड़े हुए बदरंग भी हैं जो उन्हीं के लिए ध्यातव्य है जिनके भीतर संवेदनाओं और रचनात्मकता के सुदृढ़ अंश जन्म से ही पैठ बनाकर बैठे हुए हों.  “हर दरख़्त में स्पंदन”काव्य संकलन  यही कहता है कि कविताएं  जगत और अनंत में विद्यमान दृश्यों द्वारा चैतन्य होने की वह पराकाष्ठा  ह...