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पर्यावरण आंदोलन और पहाड़ी महिलाएं

पर्यावरण आंदोलन और पहाड़ी महिलाएं

आधी आबादी
भावना मसीवाल पहाड़ का जीवन देखने में हमें जितना शांत और खूबसूरत लगता है, अपने भीतर वह बहुत सी हलचलों और दबावों को समेटे है. यह दबाव एक ओर प्रकृति का प्रकोप है जो भूकंप और बाढ़ के रूप में देखा जाता है तो दूसरी ओर पहाड़ पर बढ़ता मानवीय हस्तक्षेप है जो केदारनाथ, बद्रीनाथ और रूद्रप्रयाग के विध्वंस का जीवंत उदाहरण है. पहाड़ के जीवन को जिसने न केवल प्रभावित किया बल्कि पहाड़ को मैदानों और शहरो की तरफ पलायन को मजबूर किया. यह पलायन केवल एक व्यक्ति का नहीं बल्कि पूरे पहाड़ी समाज का रहा. पहाड़ी समाज पूर्णतः प्रकृति पर आश्रित है मगर भूमंडलीकरण के बढ़ते प्रभाव ने प्रकृति प्रदत्त उनकी यह जीविका छीन ली है. आज पलायन बढ़ रहा है. कारण आर्थिक बेरोजगारी है जिसका परिणाम सबसे अधिक महिलाओं के जीवन पर रहा. उत्तराखंड में आज भी महिलाएं अकेली पहाड़ पर रहने को मजबूर हैं और पुरुष शहर जाकर कमाने को. पहाड़ के बारे में कहा जाता ह...