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उत्तराखंड : बाघ बने जान के दुश्मन, हैरान करने वाले आंकड़े

उत्तराखंड : बाघ बने जान के दुश्मन, हैरान करने वाले आंकड़े

उत्तराखंड हलचल
प्रदेश में बाघ के हमले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। बीते कुछ सालों में बाघ के हमले में जान गंवाने वालों की संख्या बढ़ रही है। मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को रोकने में वन विभाग नाकाम नजर आ रहा है। जंगलात के द्वारा इन्हें रोकने के लिए किए जाने वाले सारे दावे फेल हो रहे हैं। बाघ के हमले में मारे जाने वाले लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जिसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसी महीने बाघ के हमले में तीन लोगों ने अपनी जान गंवाई है। बता दें कि प्रदेश में बीते तीन सालों में बाघ के हमलों में 35 लोग की मौत और 27 घायल हुए हैं। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव कार्यालय से मिले आंकड़ों के मुताबिक साल 2021 में बाघ के हमले में दो लोगों की मौत हुई थी जबकि आठ घायल हुए थे। साल 2022 में बाघ के हमले में 16 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी। जबकि दस लोग घायल हुए। साल 2023 में सबसे ज्यादा लोगों ने बा...
उत्तराखंड : इतनी ऊंचाई पर नजर आया बाघ, वन विभाग भी हैरान

उत्तराखंड : इतनी ऊंचाई पर नजर आया बाघ, वन विभाग भी हैरान

अल्‍मोड़ा
अल्मोड़ा : वन विभाग अब तक जिस बात को नामुमकिन बता रहा था, उस पर अब खुद वन विभाग ने मुहर लगा दी है। अपने तरह के पहली घटना सामने आने के बाद विभाग के अधिकारी भी हैरान हैं। तीन दिन पहले जागेश्वर में 6 हजार फीट की ऊंचाई पर बाघ देखे जाने के बाद वन विभाग के अधिकारी और जानकार हैरान थे। इतने ठंडे इलाके में बाघ के देखे जाने को वन विभाग नामुमकिन बता रहा था। लेकिन, घटना के 3 बाद ही एक बार फिर बाघ नजर आया है। अबकी बार बाघ 7 हजार फीट की ऊंचाई पर नजर आया है। जागेश्वर के शौकियाथल में छह हजार फुट की ऊंचाई पर बाघ नजर आने के ठीक तीन दिन बाद सात हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित अल्मोड़ा जिले के बिनसर में फिर बाघ दिखा है। बिनसर में बाघ की चहलकदमी को डीएफओ ने खुद अपने कैमरे में कैद किया है। जिसके बाद ये साफ हो गया है कि क्षेत्र में बाघ सक्रिय है। पहली बार प्रदेश में बाघ की इतनी ठंड वाले इलाके में सक्रियता से वन वि...
बाघ जब एकदम सामने आ गया

बाघ जब एकदम सामने आ गया

संस्मरण
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—27 प्रकाश उप्रेती आज किस्सा 'बाघ' का. बाघ का हमारे गाँव से गहरा नाता रहा है. गाँव में हर किसी के पास बाघ के अपने-अपने अनुभव और क़िस्से हैं. हर किसी का बाघ से एक-दो बार तो आमना -सामना हुआ ही होगा. अपने पास भी बाघ को लेकर कुछ स्मृतियाँ और ढेरों क़िस्से हैं. हमारे घर में 'कुकुर' (कुत्ता) हमेशा से रहा है. पहले हम बकरियाँ भी पाला करते थे. बाघ के लिए आसान और प्रिय भोजन ये दोनों हैं लेकिन वह गाय और बैलों पर भी हमला करता है. मेरी याददाश्त में हमारे 9 कुत्ते, 2 बकरी, 4 गाय और 1 बैल को बाघ ने मारा. मैं इन सबका गवाह रहा हूँ. जब भी बाघ ने इनको मार उसके बाद हमें बस हड्डियाँ ही नसीब हुई थी. कुछ महीने पहले ही छोटी सी गाय को फिर बाघ ने मार दिया. इसलिए बाघ 'अन्य' की तरह न चाहते हुए भी हमारे ताने-बाने में दख़ल दे ही देता है. ईजा अच्छे से छन के दरवाजे पर 'अड़ी' (ए...