प्राकृतिक आपदाओं से कराहते लोग…
बंगाण क्षेत्र की आपदा का एक वर्ष… लोगों का दर्द और मेरे पैरों के छाले…
आशिता डोभाल
बंगाण क्षेत्र का नाम सुनते ही मानो दिल और दिमाग पल भर के लिए थम से जाते हैं क्योंकि बचपन से लेकर आजतक न जाने कितनी कहानियां, दंत कथाएं वहां के सांस्कृतिक और धार्मिक परिवेश पर सुनी हैं, बस अगर कहीं कमी थी, तो वो ये कि वहां की सुन्दरता और सम्पन्नता को देखने का मौका नहीं मिल पा रहा था जो सौभाग्यवश इस भ्रमण के दौरान देखने को भी मिल गया था.
विगत वर्ष दिनांक 17.08.19 व 18.08.19 को बारिश के कहर से पूरी बगांण वैली का तबाह होना या यूं कहें कि एक पूरी सभ्यता की रोजी-रोटी (स्वरोजगार) के साधनों का तबाह होना किसी भी सभ्यता के लिए अच्छे संकेत तो बिल्कूल भी नहीं थे, साधन विहीन हो चुकी बगांण वैली इस वेदना से गुजर रही थी, जिसकी चीख-पुकार सुनने वाला कोई नहीं था. आसमान का कहर उनका इतने कम समय में सब कुछ खत्म कर देगा,...