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पहाड़ की खूबसूरती को बबार्द करते ये कूड़े के ढेर!  

पहाड़ की खूबसूरती को बबार्द करते ये कूड़े के ढेर!  

पर्यावरण
पहाड़ में कूड़ा निस्तारण एक गंभीर समस्‍या! भावना मासीवाल पहाड़ की समस्याओं पर जब भी चर्चा होती है तो उसमें रोजगार और पलायन मुख्य मुद्दा बनकर आता है. यह मुद्दा तो पहाड़ की केंद्रीय समस्याओं की धूरी तो है ही. इसके साथ ही अन्य समस्याएं भी so पहाड़ के जीवन को प्रभावित कर रही है. इनमें एक समस्या है कूड़े का निस्तारण. आप भी सोचेंगे भला रोजगार और पलायन जैसे प्रमुख मुद्दों को छोड़कर कहा एक कूड़े के निस्तारण के मुद्दे पर चर्चा हो रही है. यह विषय देखने में जितना छोटा व गैर जरूरी लगता है. दरअसल उतना है नहीं. कूड़ा निस्तारण की समस्या पूरे विश्व की समस्या है. पलायन हमारा देश भारत स्वयं भी प्रति दिन उत्सर्जित लाखों टन कूड़े के निस्तारण की समस्या से जूझ रहा है. हमारे देश में 1.50 लाख मेट्रिक टन कूड़ा प्रतिदिन निकलता है. इसमें से भी कुछ so प्रतिशत कूड़े का ही निस्तारण हो पाता है. शेष कूड़ा महानगरों में शहर ...
मेरी ओर देखो

मेरी ओर देखो

अध्यात्म
भूपेंद्र शुक्लेश योगी धरती के भीतर का पानी शरीर के “रीढ़ की हड्डी के पानी” जैसा होता है, रीढ़ की हड्डी का पानी जिसे CSF (Cerebrospinal Fluid) कहते हैं जो मस्तिष्क व रीढ़ आधारित अंगों के क्रियान्वयन के लिए अमृत समान है ....! सामान्यतः मस्तिष्क में ट्यूबरक्लोसिस के संबंध जानकारी प्राप्त करने के लिए CSF जाँच की जाती है वह भी तब जब अन्य सभी मार्ग बंद हो गए हों और विषय बहुत गंभीर हों ... सोचिए ! भूमिगत जल भी पृथ्वी के आंतरिक संचालन के लिए अति आवश्यक है, बाह्य प्रयोगों हेतु तो प्रकृति ने नदी, सरोवर, झील, झरने, जल स्त्रोत, वर्षा जल आदि दिये थे जो पर्याप्त था. यदि इस FLUID को जब चाहे, जैसे चाहे वैसे निकाला जाये तो इसका परिणाम कितना भयानक होगा... इसके दुष्परिणाम स्वरूप शरीर के लकवाग्रस्त होने, स्मृति भ्रम होने के साथ-साथ अन्य रोग उत्पन्न होने की संभावना रहती है. अब इस उपरोक्त स्थिति को भू...