Tag: प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी

मेरे हिस्से का आपातकाल

मेरे हिस्से का आपातकाल

संस्मरण
चारु तिवारी अंधेरी काली रातें. तारों से भरा आसमान. कड़कड़ाती ठंड़. चांद भी जैसे सुबह होने का इंतजार कर रहा हो. अभी ‘ब्यांण तार’ आने में देर थी. घाटी में बसे इस छोटे से कस्बे के चारों ओर गांव ही गांव. कहीं कोई आहट नहीं. चिड़ियों ने भी अपना ‘घोल’ नहीं छोड़ा है. रात खुलने के अभी कोई संकेत नहीं. दूर शियारों की ‘टुक्याव ’ (बोलने की आवाज) अभी आयी नहीं. बगल के गांव रावलसेरा के मुर्गे तो और देर में बांग देते हैं. बाहर खेतों में दूर तक बिछी ‘तुषार’ (रात को गिरी ओस का सख्त होना) की सफेद चादर. जहां पानी रुका हैं वहां ‘खांकर’ (पानी का जमना) जम गई है. सोचता था पिताजी इतनी जल्दी उठ क्यों जाते हैं? स्कूल जाने का समय भी दस बजे का है. इतनी जल्दी पिताजी जाते कहां हैं? ईजा से एक-दो बार पूछा तो वह भी टाल गई. बहुत बाद में पता चला कि देश में आपातकाल लगा है. सरकारी कर्मचारियों से सख्ती है. नौकरी बचानी है तो इंदिरा ग...
राजनीति में अदला बदली

राजनीति में अदला बदली

समसामयिक
भाग—1 डॉ. रुद्रेश नारायण मिश्र राजनीति, जिसका संबंध समाज में शासन और उससे संबंधित नियम या नीति से है. यह नीति और नियम, राज करने वालों से लेकर समाज के विभिन्न वर्गों पर प्रभाव डालता है. परंतु सत्ता के कई संदर्भ में इसकी दिशा और दशा बदल जाती है, और तब यह सत्ता विशेष के हाथों की कठपुतली मात्र बनकर रह जाती है. यहीं से राजनीति की अदला बदली का खेल शुरू होता है. सत्ता पाने के लिए और अपने अनुसार समाज में नीति का निर्माण करने के लिए वैश्विक इतिहास में कई संघर्षों को देखा जा सकता है. साथ ही, इन संघर्षों में नीति बनाने वालों की भूमिका महत्त्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि नीति निर्माता समय काल और स्थिति को समझता है और उसी के अनुरूप अपने विचारों को व्यक्त करता है. कुछ राजनीति के विचारक स्वतंत्र रूप में अपने विचारों को सभी के समक्ष प्रस्तुत करते दिखते हैं, जिससे उन्हें कई परेशानियों का सामना भ...