Tag: प्रकाश चन्द्र पुनेठा

कैप्टन गुमान सिंह चिराल : प्रशिक्षण के समय बहाया पसीना युद्ध में खून को बचाता है!

कैप्टन गुमान सिंह चिराल : प्रशिक्षण के समय बहाया पसीना युद्ध में खून को बचाता है!

पिथौरागढ़
प्रकाश चन्द्र पुनेठा, सिलपाटा, पिथौरागढ़ उत्तराखंड का सीमांत जिला पिथौरागढ़ के अन्तर्गत मुनस्यारी एक अति सुन्दर, रमणीय व प्राकृतिक सौन्दर्य युक्त विश्वप्रसिद्ध पर्यटक स्थल है, और तिब्बत की सीमा से लगा हुआ है. इसके अतिरिक्त मुनस्यारी परिश्रमी, बहादुर, शौर्यशाली, व साहसी लोगों की धरती है. मुनस्यारी के निकट, गोरी नदी के किनारे, मदकोट नामक सुन्दर कस्बा है. पिथौरागढ़ से मदकोट की दूरी लगभग 123 किलोमीटर है. मदकोट के दूर-दराज गांवों के नवयुवक भारतीय सेना का अभिन्न अंग बनने के अधिक लालायित रहते हैं. इस क्षेत्र के अधिकतर नवयुवक सत्रह वर्ष की आयु पूरी होते ही सेना में भर्ती होने को प्राथमिकता देते हैं. इसलिए कह सकते है कि मदकोट एक सैनिक बहुल क्षेत्र है. मदकोट से लगभग 8 किलोमीटर दूर चैना गांव के कैप्टन गुमान सिंह चिराल का सैनिक जीवन वृतांत भी संघर्षमय रहा है. गुमान सिंह जब मात्र दो माह की शिशु अवस्था म...
पिथौरागढ़ : चार युद्ध लड़ने वाले 82 वर्षीय मेजर त्रिलोक सिंह सौन

पिथौरागढ़ : चार युद्ध लड़ने वाले 82 वर्षीय मेजर त्रिलोक सिंह सौन

पिथौरागढ़
प्रकाश चन्द्र पुनेठा, सिलपाटा, पिथौरागढ़ पिथौरागढ़ से पूर्व में लगभग 35 किलोमीटर दूर नेपाल सीमा व काली नदी के निकट क्वीतड़ गाँव के तोक चैड़ा में 1 जनवरी, 1944 के दिन एक किसान करम सिंह सौन व उनकी पत्नी ग्वाली देवी के परिवार में एक शिशु का जन्म हुआ। उसका नामकरण बड़ी धूमधाम से मनाया गया और नाम रखा गया त्रिलोक सिंह सौन। करम सिंह 120 नाली  भूमी के स्वामी होने के साथ एक संपन्न तथा समृद्ध किसान थे। करम सिंह अपने परिश्रम के बलबूते, अपने खेतों में पसीना बहाकर, खेतों में अनाज उगाकर तथा गाय-भैंस पालकर अपने परिवार का भरण-पोषण बहुत अच्छी तरह करते थे। उनके घर में अनाज व दूध-दही-घी की कमी नहीं थी। अगर कमी थी तो आधुनिक सुख-सुविधाओं की। उस समय हमारा देश ब्रिटिश शासन के पराधीन था। हमारे पर्वतीय क्षेत्र में शिक्षा, स्वास्थ तथा आवागमन की सुविधाओं का बहुत अधिक अभाव था। पिथौरागढ़ जिला अल्मोड़ा का एक परगना था, पिथौरा...
सिलपाटा से सियाचिन तक प्रमाणिक जीवन की अनुभूति का यात्रा- वृत्तांत

सिलपाटा से सियाचिन तक प्रमाणिक जीवन की अनुभूति का यात्रा- वृत्तांत

साहित्‍य-संस्कृति
हिमांतर ब्यूरो, नई दिल्ली यात्रा, भूगोल की दूरी को नापना भर नहीं है बल्कि भूगोल के भीतर की विविधता को ठहर कर महसूस करना और समझना है. यही स्वानुभूति  यात्रा- वृत्तांत का आत्मा और रस तत्व होता है. इसी स्वानुभूति की प्रमाणिकता को आत्मसात करने वाली पुस्तक है, 'सिलपाटा से सियाचिन तक'. हिमांतर प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का 13 जनवरी, 2023 को दिल्ली में संस्कृत अकादमी के सभागार में लोकार्पण हुआ. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध विज्ञान कथा लेखक, घुमक्कड़ और साहित्यकार व इस पुस्तक की भूमिका लिखने वाले देवेन्द्र मेवाड़ी ने की, उन्होंने इस पुस्तक की प्रमाणिकता और फौजी जीवन के बीच बंदूक के साथ कलम हाथ में थामने वाले लेखक द्वारा पुस्तक में चित्रित सूक्ष्म विवरणों की ओर सबका ध्यान दिलाया. साथ ही उन्होंने कहा कि- यह यात्रा वृत्तांत सिर्फ विवरण भर नहीं है बल्कि इसके जरिए आप फ़ौजी जीवन के विविध आय...
बहुत ही लोकप्रिय थी बेरीनाग की चाय!

बहुत ही लोकप्रिय थी बेरीनाग की चाय!

खेती-बाड़ी
‘मालदार’ दान सिंह बिष्ट प्रकाश चन्द्र पुनेठा जिला पिथौरागढ़ के पूर्व दिशा में 36 किलोमीटर दूर काली नदी के किनारे झूलाघाट नाम का कस्बा है. काली नदी हमारे देश भारत और नेपाल के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा का कार्य करती है. काली नदी के किनारे हमारे कस्बे को झूलाघाट कहते है. और काली नदी के पार नेपाल के कस्बे को जूलाघाट कहा जाता है. हमारे जिले पिथौरागढ़ के झूलाघाट कस्बे में हमारे देश की स्वतंत्रता से पूर्व, क्वीतड़ गाँव निवासी देव सिंह बिष्ट एक छोटी सी दुकान में घी का व्यवसाय करते थे. झूलाघाट में घी व्यवसाय करने से पूर्व, देव सिंह बिष्ट के पूर्वज नेपाल के जिला बैतड़ी के निवासी थे. बाद में नेपाल के जिला बैतड़ी से आकर पिथौरागढ़ के क्वीतड़ गाँव में बस गए थे. सन् 1906 में देव सिंह के घर क्वीतड़ में उनके पुत्र दान सिंह का जन्म हुआ था. म्यांमार से वापस पिथौरागढ़ आने के बाद दान सिंह अपने पिता के ...