Tag: पोस्टमैन

गुड़ की भेलि में लिपटे अखबार का एक दिन

गुड़ की भेलि में लिपटे अखबार का एक दिन

संस्मरण
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—44 प्रकाश उप्रेती आज किस्सा- “ईजा और अखबार” का.  ईजा अपने जमाने की पाँच क्लास पढ़ी हुई हैं. वह भी बिना एक वर्ष नागा किए. जब भी पढ़ाई-लिखाई की बात आती है तो ईजा 'अपने जमाने' because वाली बात को दोहरा ही देती हैं. हम भी कई बार गुणा-भाग और जोड़-घटाने में ईजा से भिड़ पड़ते थे लेकिन ईजा चूल्हे से “कोय्ली” (कोयला) निकाल कर जमीन में लिख कर जोड़-घटा, गुणा-भाग तुरंत कर लेती थीं. अक्सर सही करने के बाद ईजा की खुशी किसी अबोध शिशु सी होती थी. हम कहते थे- “क्या बात ईजा, एकदम सही किया है”. ईजा फिर अपने जमाने की पढ़ाई वाली बात दोहरा देती थीं. ज्योतिष तब अखबार से कोई लेना-देना नहीं था. अक्सर “गुड़ की भेली” अखबार में लपेट कर आती थी. इतना ही अखबार की उपयोगिता ईजा समझती थी लेकिन जब भी शाम को केदार के बाज़ार because जाते थे तो देखते थे कि कुछ लोग चाय पी रहे होते, कुछ हुक्का ...