उत्तराखंड: आखिर कौन जिम्मेदार है इस आग के लिए…
जंगल में उपजी आग अधिकांशतः मानवजनित होती है!
सुनीता भट्ट पैन्यूली
क्या पहाड़ों पर कभी
अब न पकेगा काफल
चिड़िया नहीं चखेंगी हिस्सर
भूखी रह जायेगी क्या कोयलिया.
जंगल जब सुलग रहे हों
आओ हम सब जल बन जायें.
सड़क जो गांव से शहर को चली
आओ उसी सड़क पर चल वापस
लौट आयें अपने घर.
प्रकृति से हम मांगते हैं
हरियाली जल, हवा
हमने स्वयं क्या प्रयास किया
सोचिये सोचिये.
भारत में वनों के सांस्कृतिक व धार्मिक महत्त्व का आंकलन इसी आधार पर किया जा सकता है कि पेड़ हमारी सभ्यताओं से लेकर आज तक हमारे संस्कारों में पूजे जाते हैं इन्हीं जंगलों के आश्रय स्थल में हमारी सभ्यताओं ने सामाजिक उन्नयन की ओर कूच किया.अथार्त वनों के सानिध्य और मार्गदर्शन में भारतीय सभ्यता और संस्कृति का उद्भव और विकास हुआ है. कहना ग़लत न होगा कि पृथ्वी पर जीवन के लिए जंगलों का विस्तार और उपस्थिति अपरिहार्य है ताकि हमें स्व...