Tag: पर्यटन

पर्यटन को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध धामी सरकार

पर्यटन को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध धामी सरकार

पर्यटन
डेस्टिनेशन उत्तराखंड का नया आकर्षण केंद्र बनती टिहरी झील, तैयार हो जाईये एक और शानदार आयोजन के लिए टिहरी झील में आगामी 24 नवंबर से शुरू होने जा रहा टिहरी अंतरराष्ट्रीय एक्रो फेस्टिवल पर्यटन को नई बुलंदियों पर ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है उत्तराखंड की धामी सरकार देहरादून। उत्तराखंड के पर्यटन मानचित्र में टिहरी झील सबसे तेजी से उभरता हुआ नया स्थल है। एडवेंचर टूरिज्म के शौकीनों के लिए यह स्थान हॉट फेवरेट साबित हो रहा है। यही वजह है कि डेस्टिनेशन उत्तराखंड के अंतर्गत राज्य की धामी सरकार द्वारा यहां नियमित रूप से विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं। इसी कड़ी में अब टिहरी झील में 24 से 28 नवंबर तक अंतरराष्ट्रीय टिहरी एक्रो फेस्टिवल 2023 का आयोजन होने जा रहा है। उत्तराखंड में साहसिक खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि डे...
संस्मरणों, यात्राओं और अनुभवों का पुलिंदा है हिमालय दर्शन

संस्मरणों, यात्राओं और अनुभवों का पुलिंदा है हिमालय दर्शन

पुस्तक-समीक्षा
सुनीता भट्ट पैन्यूली जैसा कि लेखक दिगम्बर दत्त थपलियाल लिखते हैं - “जिस हिमालय की हिम से ढकी चोटियां मेरी अन्तश्चेतना और अनुभुतियों का अविभाज्य अंग बन गयी हैं, जहां एक क्वारी धरती गहरे नीले आकाश के नीचे सतत सौन्दर्य रचना में डूबी रहती है, उसकी विभूति और वैभव को किस प्रकार इन पृष्ठों पर उतारु? मैं चाहता हूं, हर कोई उस ओर चले, पहुंचे और देखे. अनुभव करे कि वहां परिचय की छोटी-छोटी सीमायें टूट जाती हैं. छोटे-छोटे आकाश नीचे,बहुत नीचे छूट जाते हैं और शुरू होती,एक विराट सुन्दर सत्ता. जिसके प्रभाव में हमारी नगण्य अस्मिता अनन्त के छोर छूने लगती है.” ज्योतिष दिगम्बर दत्त की “हिमालय दर्शन” (Himalayas: In the pilgrimage of India)  पर्यटन साहित्य पर लिखा गया एक महत्त्वपूर्ण व शोधपरक दस्तावेज है.  दिगम्बर दत्त because थपलियाल की विद्वता, तथ्यनिष्ठा, व उत्तराखंड के हिमालय की यात्राओं के असंख्य अनुभव...
उत्तरकाशी: गर्तांगली का आधुनिक शिल्पी – राजपाल बिष्ट

उत्तरकाशी: गर्तांगली का आधुनिक शिल्पी – राजपाल बिष्ट

उत्तरकाशी
पुष्कर सिंह रावत इन दिनों उत्तरकाशी की गर्तांगली चर्चा में है. करीब डेढ़ सौ साल पुराना यह रास्ता किसने बनाया इस पर अभी शोध की जरूरत है. लेकिन हेरीटेज महत्व के इस पुल को नया रूप देने वाले because राजपाल बिष्ट को उत्तरकाशी के लोग बखूबी जानते हैं. पुल बनाने में महारत रखने वाले इस युवा ठेकेदार ने एक जोखिमभरी राह को आसान बना दिया. दरअसल इस काम के लिए वन विभाग और लोनिवि को काफी माथापच्ची करनी पड़ी. इसके खतरे को देखते हुए और कोई तैयार नहीं हुआ तो राजपाल बिष्ट आगे आए. उनसे बहुत पुरानी मित्रता होने के कारण मुझे उनकी कार्यशैली मालूम है. नफा नुकसान से ज्याआदा उनका because ध्यान काम के महत्व पर रहता है. उनसे लगातार संपर्क के कारण गर्तांगली के जीर्णोद्धार की हर खबर मुझे मिलती रही. संयोगवश देहरादून में हम दोनों पड़ोसी हैं. लिहाजा पुल के लिए देवदार की लकड़ी का इंतजाम करते वक्त मैं उनके साथ ही मौजूद था. ...
बेनीताल बुग्याल की 650 एकड़ जमीन पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड!

बेनीताल बुग्याल की 650 एकड़ जमीन पर लगा निजी संपत्ति का बोर्ड!

पर्यटन
बेनीताल: प्रकृति की गोद में बसा बुग्याल कमलेश चंद्र जोशी उत्तराखंड पर्यटन के लिहाज से विविधताओं से भरा प्रदेश है. हालाँकि पर्यटकों के बीच इसकी पहचान चार धाम यात्रा के रूप में अधिक मशहूर है लेकिन यात्रा पर्यटन के सिवाय उत्तराखंड में बहुत कुछ ऐसा है जिन तक अभी सीमित व नियमित पर्यटकों का पहुँचना बाकी है. एक गंतव्य के तौर पर उत्तराखंड के बुग्यालों को पर्यटन में अब तक because वह मुकाम हासिल नहीं हो पाया है जो पारंपरिक गंतव्यों को है. बुग्यालों को पर्यटन से जोड़ने के इतर समय-समय पर बुग्यालों में हो रहे अतिक्रमण व बैकपैकर्स द्वारा फैलाई जा रही गंदगी की खबरें सुनने को मिल जाती हैं जिसकी वजह से बुग्यालों में पर्यटन को बढ़ावा देने की जगह उन्हें संरक्षित करने के लिए यात्रियों के रात्रि विश्राम व टेंट लगाने पर रोक जैसे सख़्त कदम प्रशासन को उठाने पड़ते हैं. बुग्याल समुद्र तल से 8-10 हजार फ...
पलायन  ‘व्यक्तिजनित’ नहीं ‘नीतिजनित’ है

पलायन  ‘व्यक्तिजनित’ नहीं ‘नीतिजनित’ है

उत्तराखंड हलचल
भाग-एक पहले कृषि भूमि तो बचाइये! चारु तिवारी  विश्वव्यापी कोरोना संकट के चलते पूरे देश में लॉक डाउन है. अभी इसे सामान्य होने में  समय लगेगा. इसके चलते सामान्य जन जीवन प्रभावित हुआ है. देश में नागरिकों  का एक बड़ा तबका है जो अपनी रोटी रोजगार के लिए देश के महानगरों या देश से बाहर रह रहा है. उसके सामने अब अपने जीवन यापन का संकट खड़ा हो गया है. स्वाभाविक रूप से उसका सबसे सुरक्षित ठिकाना अपना गांव-घर ही है. यही कारण है बड़ी संख्या में  शहरों से लोग अपने-अपने गांव जा रहे हैं. उत्तराखंड एक ऐसा राज्य है, जहां  से पिछले तीन-चार दशकों  से पलायन तेज हुआ है. राज्य बनने के दो दशक बाद तो यह रुकने की बजाय बढ़ा है. कोरोना के चलते बड़ी संख्या में लोग पहाड़ लौटे हैं. लोगों  को लगता है कि इसी बहाने लोग गांव में  रहने का मन बनायेंगे. सरकार भी इसे एक अवसर मान रही है. उत्तराखंड ग्राम विकास  एवं पलायन आ...