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नए वर्ष की चुनौतियाँ और सम्भावनाएँ

नए वर्ष की चुनौतियाँ और सम्भावनाएँ

साहित्‍य-संस्कृति
प्रो. गिरीश्वर मिश्र  जब हम भारत और उसके कोटि-कोटि जनों के लिए सोचते हैं तो मन में भारत भूमि पर हज़ारों वर्षों की आर्य सभ्यता और संस्कृति की बहु आयामी यात्रा कौंध उठती है. विभिन्न सांस्कृतिक प्रभावों के संघात के बीच ज्ञान, विज्ञान, कला, साहित्य का अविरल प्रवाह राष्ट्रीय गौरव का बोध कराता है. साथ ही भारत का भाव हमें उस दाय को सँभालने के लिए भी प्रेरित करता है जिसके हम वारिस हैं. निकट अतीत का स्वाधीनता संग्राम देशवासियों को राष्ट्र को आगे ले जाने के दायित्व का भी स्मरण कराता है. स्वाधीनता आश्वस्त करती है पर हमारे आचरण को आयोजित करने के लिए कर्तव्य-मार्ग का निर्देश भी देती है ताकि वह सुरक्षित बनी रहे. इस तरह अतीत कभी व्यतीत नहीं होता बल्कि हमको रचता रहता है. आज भारत विकास के मार्ग पर एक यात्रा पर अग्रसर है. भारत के लिए अगले साल में क्या कुछ होने वाला है इस सवाल पर विचार इससे बात से भी जुड़ा...