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दीव से ओखा तक

दीव से ओखा तक

ट्रैवलॉग
गुजरात यात्रा - सोमनाथ से द्वारिकाधीश तक डॉ. हरेन्द्र सिंह असवाल  यात्रायें मनुष्य जीवन जीवन की आदिम अवस्था से जुड़ी हुई हैं. चरैवेति चरैवेति से लेकर अनन्त जिज्ञासायें मनुष्य को घेरे रहती हैं. इस बार दिल्ली की लंबी प्रदूषित अवधि ने मुझे बाहर निकलने के लिए इतना विवश किया कि बिना किसी योजना के मै निकल गया जयपुर. जयपुर से डस्टर से चार लोग निकल पड़े. कहाँ जाना है? कहाँ रुकना है? कुछ पता नहीं. आजकल ओयो रूम्स हैं न. जहाँ तक पहुँचेंगे वहीं ओ यो रूम्स देख लेंगे. पुराने ज़माने में लोग यात्रा पर निकलते थे तो चट्टियों पर रुकते थे. ये चट्टियां हर नौ मील पर हुआ करती थी. अक्सर यात्री हर दिन नौ मील की दूरी तय करते और अपने रात्रि पड़ाव तक पहुँच जाते. वे धार्मिक यात्रायें होती थी. जिसमें पुण्य प्राप्ति और मुक्ति की कामना से श्रद्धालु निकला करते थे. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं था. मैं तो  दिल्ली की तंग ...