Tag: दून विश्वविद्यालय

प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन : फिल्म और संस्कृति के विकास पर चर्चा का मंच

प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन : फिल्म और संस्कृति के विकास पर चर्चा का मंच

देहरादून
उत्तराखंड की धरती को फिल्म शूटिंग के हब के रूप में विकसित करने और लोकसंस्कृति को संरक्षण देने के प्रयास देहरादून. दून विश्वविद्यालय (Doon University) में प्रवासी उत्तराखंडी सम्मेलन के दौरान उत्तराखंड की लोकसंस्कृति, कला, एवं फिल्मों को बढ़ावा देने पर विशेष सत्र का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में उत्तराखंड को फिल्म शूटिंग के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई. उत्तराखंड फ़िल्म विकास परिषद के CEO और महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी ने इस दिशा में राज्य सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि राज्य में कई आकर्षक फिल्म शूटिंग स्थल हैं, जो देश और दुनिया के फिल्म निर्माताओं को आकर्षित कर सकते हैं. उत्तराखंड फ़िल्म नीति 2024: क्षेत्रीय भाषाओं में फिल्मों को मिलेगी 50% तक सब्सिडी उत्तराखंड फ़िल्म विकास परिषद के CEO और महानिदेशक सूचना बंशी...
उत्तराखंड में मानसून की एंट्री ने डिजास्टर जोन में बढ़ाई चिंता

उत्तराखंड में मानसून की एंट्री ने डिजास्टर जोन में बढ़ाई चिंता

देहरादून
उत्तराखंड में आने वाली आपदाओं को रोकने के लिए केवल टेक्नोलॉजी से काम नहीं चल सकता. उत्तराखंड में 200 लैंडस्लाइड एक्टिव हैं ऐसे में सरकार को ये करना चाहिए कि साल में 10 या 12 को नहीं बल्कि 50-60 का टारगेट रखना चाहिए. डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला, दून विश्वविद्यालय उत्तराखंड में लैंडस्लाइड एक बड़ी समस्या रहा है. राज्य में मानसून की एंट्री हो चुकी है. मानसून सीजन में लैंडस्लाइड अपने पीक पर होता है. मानसून की बारिश में लैंडस्लाइड रिस्क एरिया में बसाए गए लोगों को विशेष खतरा है. राज्य के संवेदनशील इलाकों में अंधाधुंध निर्माण ने बड़ी चुनौती खड़ी की हुई है. ऐसे में पर्यावरणविद और वैज्ञानिक प्रतिष्ठित संस्थानों की रिपोर्ट को नजरअंदाज करने के बजाय, एक्शन प्लान के आधार पर ठोस उपाय लागू करने की सलाह दे रहे हैं. भूस्खलन क्षेत्र नासूर बनकर उभरते हैं. भूस्खलन जोन नेताला सहित लालढांग, हेलगूगाड़ सहित सुक्क...
 ‘जीवन जिससे पूर्ण सार्थक हो, वो मंजिल अभी दूर है’

 ‘जीवन जिससे पूर्ण सार्थक हो, वो मंजिल अभी दूर है’

पौड़ी गढ़वाल
प्रेरक व्यक्तित्व – डॉ. चरणसिंह 'केदारखंडी' डॉ. अरुण कुकसाल मैं अचकचा गया हूं कि कहां पर बैठूं? कमरे के चारों ओर तो एक दिव्य और भव्य स्वरूप पहले ही से विराजमान है. मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि कमरे में करीने से because रखी पुस्तकें मेरे स्वागत में एक साथ मुस्करा दी हैं. मेरे हाथ श्रीअरविंद और श्रीमां के चित्रों की ओर स्वतः ही अभिवादन के लिए जुड़ गये हैं. मैं तुरंत सामने की किताब को सहला कर अपने को सहज करता हूं. हिन्दी, उर्दू, संस्कृत और अंग्रेजी की डिक्शनरियों की एक लम्बी कतार सामने के रैक पर सजी हैं. कमरे में दिख रही सभी किताबें धर्म के दायरे से बाहर निकलकर आध्यात्म का आवरण लिए हुये हैं. ज्योतिष पल भर पहले मैं असमजस में रहा कि पहले किताबों से बातें करूं या केदारखंडी जी से. पर पल में ही संशय मिटा कि इन किताबों का अंश केदारखण्डी जी में किसी न किसी रूप में है, तो फिर उन्हीं से बातें प...