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स्कूलों को रचनात्मकता से लबरेज होना चाहिए: एस.पी.सेमवाल

स्कूलों को रचनात्मकता से लबरेज होना चाहिए: एस.पी.सेमवाल

देहरादून
मनोहर चमोली ‘मनु’ साहित्यकार, शिक्षाविद् एस.पी. सेमवाल ने कहा कि अभी हमारे विद्यालयों को रचनात्मकता का केन्द्र होने में समय लग रहा है. हालांकि सृजनशील शिक्षक मौलिकता, रचनात्मकता के लिए अपने रास्ते खोज लेते हैं. उन्हें बाधाओं में भी हल मिल जाते हैं. टिहरी के मुख्य शिक्षा अधिकारी एस.पी.सेमवाल ने कहा कि समाज में जो भी नया और अनोखा दिखाई देता है वह रचनात्मक विचार से ही उत्पन्न होता है. एस.पी.सेमवाल दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र तथा अंकुर के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे. ‘शिक्षा और उसकी चिंताएँ’ विषय पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि रचनात्मकता ही है जो समाज को जीवंत बनाए रखती है. विद्यालयों में सृजनात्मकता की आवश्यकता पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि सूचना, तकनीक और कम्प्यूटरीकृत युग में भी मौलिकता, हाथ के कौशल और बौद्धिक सम्पदा का कोई विकल्प नहीं हो सकता. भावन...
सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उनके लेखों की पुस्तक ‘पहाड़ की पीड़ा’ का लोकार्पण

सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उनके लेखों की पुस्तक ‘पहाड़ की पीड़ा’ का लोकार्पण

देहरादून
देहरादून. दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज अपराह्न  3:00 बजे प्रख्यात पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उनके लेखों की पुस्तक ‘पहाड़ की पीड़ा’ का लोकार्पण केंद्र के सभागार में किया गया. पुस्तक में शामिल आलेखों का संकलन सुंदरलाल बहुगुणा की बेटी श्रीमती मधु पाठक ने किया है. पुस्तक लोकार्पण के अवसर पर विमला बहुगुणा, चंद्र सिंह, आईएएस रिटायर्ड, समाजसेवी डॉ. एस फ़ारुख, सामाजिक अध्यता डॉ. बी पी मैठाणी, सामजिक विचारक अनूप नौटियाल, जनकवि डॉ. अतुल शर्मा, डॉ. राजेन्द्र डोभाल और शिक्षाविद डॉ. हर्ष डोभाल आदि मौजूद थे. सुंदरलाल बहुगुणा की जयंती पर उनको याद करते हुए वक्ताओं ने उनके हिमालय के प्रति पर्यावरणीय मुद्दों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण को महत्वपूर्ण बताया और उस दिशा पर प्राथमिकता के साथ काम करने की जरूरत पर बल दिया. उनके  लेखों की पुस्तक ‘पहाड़ की पीड़ा’ के लेखों की चर्चा करते हुए वक्...