लोकतंत्र
भारती आनंद
तानाशाही का अंत हुआ, फिर भारत में लोकतंत्र आया.
जनता के द्वारा शासन यह, जनता का शासन कहलाया.
जनता के हित की ही खातिर, नव नियमों का विधान किया.
जन अधिकारों को आगे रखा, संविधान इसे नाम दिया.
जन-जन की बात सुनेगा जो, जन-जन के लिए जियेगा जो.
उसको ही चुनेंगे अपना शासक, जनता के साथ चलेगा जो.
वो अपना ही तो भाई होगा, अपनी हर बात सुनायेगे.
जो होगा भारत के हित में, हम काम वही करवायेंगे.
मौलिक अधिकार मिले जनता को, जख्म पुराने भर जायेंगे.
लोकतंत्र से चलता है भारत, दुनिया को दिखलायेंगे.
लिखी जायेगी नई इबारत नया दौर फिर से आयेगा.
बनकर कोई भी तानाशाही, अत्याचार न कर पायेगा.
सत्तर वर्षो में देखो कैसे बदल गयी है परिभाषा.
लोकतंत्र भी बदल गया है, बदल गयी सब अभिलाषा.
काम के सारे रंग ढंग बदले,जनप्रतिनिधी हो गये नेताजी.
कुछ दलों में हुए विभाजित, कुछ अपने में ही राजी.
क्षेत्र...