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पहाड़ी क्षेत्रों में आर्थिक रूप से अधिक फायदेमंद है बड़ी इलायची का उत्पादन

पहाड़ी क्षेत्रों में आर्थिक रूप से अधिक फायदेमंद है बड़ी इलायची का उत्पादन

खेती-बाड़ी
डॉ. राजेंद्र कुकसाल बड़ी इलायची या लार्ज कार्डेमम को मसाले की रानी कहा जाता है. इसका उपयोग भोजन का स्वाद बढाने के लिए किया जाता है साथ ही इसमें औषधीयय गुण भी होते है. बड़ी इलायची से बनने वाली दवाईयों का उपयोग पेट दर्द, वात, कफ, पित्त, अपच, अजीर्ण, रक्त और मूत्र आदि रोगों को ठीक करने के लिए  किया जाता है. इसकी खेती सिक्किम, पश्चिमी बंगाल, दार्जलिंग और भारत के उत्तर– पूर्वी भाग में अधिक की जाती है. बड़ी इलायची  भारत के उत्तर– पूर्वी भाग में प्राकृतिक रूप में पाई जाती है. इसके आलावा नेपाल, भूटान और चीन जैसे देश में भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है. समुद्र तट से 600 - 1500 मीटर तक की ऊंचाई वाले नम व छायादार स्थान जहां पर सिंचाई की सुविधा हो, बड़ी इलायची खेती की अपार संभावनाएं है. किन्तु समय पर उन्नत किस्मों की पौधों का न मिलना, तकनीकी जानकारी का अभाव, फसल (फलों) को सुखाने हेतु आधुनिक...
बरसात के मौसम में करें फल पौधों का रोपण

बरसात के मौसम में करें फल पौधों का रोपण

समसामयिक
डॉ. राजेंद्र कुकसाल बरसात के मौसम में मुख्यत: आम, अमरूद, अनार, आंवला, लीची, कटहल,अंगूर तथा नीम्बू वर्गीय फल पौधों का रोपण किया जाता है. उद्यान लगाने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखा जाना आवश्यक हैं. स्थल का चुनाव- वर्षाकालीन फलदार पौधों के बगीचे समुद्रतल से 1500 मी॰ ऊंचाई तक लगाये जा सकते हैं ढाल का भी ध्यान रखें पूर्व व उत्तरी ढाल वाले स्थान पश्चमी व दक्षिणी ठाल वाले स्थानौ से ज्यादा ठंडे होते हैं जो क्षेत्र हिमालय के पास हैं वहां पर आम, अमरूद, लीची के पौधों का रोपण व्यवसायिक दृष्टि से लाभकर नहीं रहते हैं, ऐसे स्थानों पर नींबू वर्गीय फलदार पौधों से उद्यान लगाने चाहिए. उद्यान लगाने से पूर्व यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस फल की ज्यादा मांग हो उसी फल के उद्यान लगाये जायें. उद्यान सडक के पास होना चाहिये यदि यह सम्भव न हो तो यह आवश्यक है कि उद्यान में पहुंचने के लिए रास्ता सु...