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ट्यूलिप के फूल कहानी संग्रह

ट्यूलिप के फूल कहानी संग्रह

पुस्तक-समीक्षा
कॉलम: किताबें कुछ कहती हैं… डॉ. विजया सती सुपरिचित लेखिका एम.जोशी हिमानी का नवीनतम कहानी संग्रह है– ट्यूलिप के फूल जो भावना प्रकाशन दिल्ली से 2020 में प्रकाशित हुआ. इससे पहले लेखिका एक कविता संग्रहों के अतिरिक्त उपन्यास ‘हंसा आएगी जरूर’ और कहानी संग्रह ‘पिनड्रॉप साइलैंस’ भी दे चुकी हैं. जीवन के आरंभिक पंद्रह वर्ष पहाड़ में जीकर चालीस से भी अधिक वर्ष महानगर में बिताने वाली कथाकार के रग-रग में पहाड़ सांस लेता है. वर्तमान जीवन की हलचल, विडंबनाओं, सुख-सुविधाओं के बावजूद लेखिका का मन अतीत में लौटता रहता है. वास्तव में इस जीवन-क्रम ने ही लेखिका को अनुभवों का अपार संसार दिया है – उनकी सभी कहानियां उनके जिए हुए जीवन से जुड़ी हैं, इसलिए उनमें अनुभव का ताप है. पहाड़-गाँव-शहर, घर-बाहर-कार्यालय, व्यक्ति-समाज-अर्थ तंत्र  ...इन सबके बीच आवाजाही से बनी हैं उनकी कहानियां. ट्यूलिप के फूल संकलन में ...
ट्यूलिप के फूल

ट्यूलिप के फूल

किस्से-कहानियां
कहानी एम. जोशी हिमानी आज दिसम्बर की 26 तारीख हो गई है. ठंड अपने चरम पर पहुंच चुकी है. मौसम के मिजाज से लग रहा है एकाध दिन में यहां अच्छी बरफ गिरेगी. गंगा खुश है कि बरफ अच्छी गिरेगी तो उसकी क्यारियों में ट्यूलिप भी बहुत अच्छे फूल देंगे तथा बगीचे में लगे सेबों की मिठास भी बढ़ जायेगी गंगा ऊनी टोपी तथा मफलर से अपने कानों को अच्छी तरह ढक लेती है. साड़ी उससे अब पहनी नहीं जाती. ऊनी गाउन के नीचे ऊनी लैगिंस, ऊपर से गरम ओवर कोट डाले, होंठों में मौसम के अनुकूल लिपस्टिक, चेहरे से टपकते अभिजात्य को देखकर पहली नजर में गंगा को हर कोई अंग्रेज मैम समझता था. मुक्तेश्वर के टाप में बना उसके दादा के जमाने का वह घर, जिसमें गर्मियों में परिवार के एकाध सदस्य अपने नौकरों के साथ जानवरों को लेकर आकर रहते थे यहां पर चार महीने तथा अगले 6-8 महीने के लिए जानवरों तथा जलावन के लिए सूखी लकड़ियों का ढेर कमरों के भीतर...