Tag: टिहरी गढ़वाल

गांधी जी की दत्तक पुत्री-‘मीरा बहन’

गांधी जी की दत्तक पुत्री-‘मीरा बहन’

साहित्‍य-संस्कृति
एक साधिका और सेविका की जीवन-यात्रा डॉ. अरुण कुकसाल ‘गांधीवाद जैसी कोई वस्तु नहीं है और मैं नहीं because चाहता कि मेरे पीछे मैं कोई सम्प्रदाय छोड़ कर जाऊं. मैंने अपने ही ढंग से सनातन सत्यों को हमारे दैनिक जीवन और समस्याओं पर लागू करने का केवल प्रयत्न किया है....मैंने जो मत बनाये हैं और जिन परिणामों पर मैं पहुंचा हूं, वे किसी भी तरह अन्तिम नहीं हैं. यदि इनसे अच्छे मुझे मिल जांय, तो मैं इन्हें कल ही बदल सकता हूं. मेरे पास दुनिया को सिखाने के लिए कोई नई चीज नहीं है. सत्य और अहिंसा अनन्त काल से चले आ रहे हैं. ज्योतिष ...मैं अहिंसा का उतना बड़ा पुजारी नहीं हूं, जितना कि सत्य का हूं; और मैं सत्य को प्रथम स्थान देता हूं तथा अहिंसा को दूसरा. मैं सत्य के खातिर अहिंसा को छोड़ सकता हूं....मेरे मत के विरुद्ध धर्मशास्त्रों के प्रमाण दिये गए हैं; परन्तु मेरा यह विश्वास पहले से अधिक दृढ़ हुआ है कि स...
“मां के पदों में सुमन-सा रख दूं समर्पण शीश को”

“मां के पदों में सुमन-सा रख दूं समर्पण शीश को”

स्मृति-शेष
क्रातिकारी श्रीदेव सुमन की 77वीं पुण्यतिथि पर विशेष डॉ. मोहन चंद तिवारी अपनी जननी और जन्मभूमि के प्रति अपार श्रद्धा तथा बलिदान की भावना रखने वाले उत्तराखंड के स्वतंत्रता सेनानी, अमर शहीद श्री देव सुमन जी की आज पुण्यतिथि है. आज के ही दिन, 25 जुलाई,1944 को लगभग शाम के करीब चार बजे इस 28 वर्षीय अमर सेनानी नौजवान ने अपनी जन्मभूमि, अपने देश, अपने आदर्श की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. श्री देव सुमन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वे अमर शहीद हैं जिन्होंने न केवल अंग्रेजों का विरोध किया बल्कि टिहरी गढ़वाल रियासत के राजा की प्रजा विरोधी नीतियों का विरोध करते हुए सत्याग्रह और अनशन करते हुए अपने प्राण त्याग दिए. श्री देव सुमन जी की पूरी राजनीति महात्मा गांधी के अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों से प्रभावित थी. पर्यावरण “मैं इस बात को स्वीकार so करता हूं कि मैं जहां अपने भारत देश के ...
इतिहास की दहलीज पर रोशनियों की दस्तक!

इतिहास की दहलीज पर रोशनियों की दस्तक!

पुस्तक-समीक्षा
सुनीता भट्ट पैन्यूली किसी किताब की सरसता,रोचकता,कौतुहलवर्धता उस किताब के मूलतत्व अथार्त विषय, तथ्य, भाषा, प्रमाण कथ्य,उद्देश्य पर निर्भर करती है। अपनी “हाशिये पर रौशनी" ध्रुव गुप्त जी द्वारा because लिखे गये एतिहासिक, पौराणिक, अध्यात्मिक, संगीत, साहित्य, कला, पर्यावरण से संबद्ध छब्बीस आलेखों के महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं जो पाठकों के मष्तिष्क में जिज्ञासा पैदा करने हेतु उपरोक्त मापदंड पर खरी उतरती है। परिवेश इसमें विभिन्न रंग, परिवेश because और अपनी-अपनी लियाकत की कहानी बयां करती चित्रों की विथिका या अंधेरी गुफाओं में रौशनी के पुंज से सराबोर विभिन्न व्यक्तियों के जीवन चरित्र पर आधारित चित्रावली एक दम नया अहसास, अनोखी अनुभूति है। विलुप्त किताब में इतिहास की because दहलीज पर रोशनियों की दस्तक है, उन हाशिये पर पड़ी महानतम आत्माओं पर जिनके अमुल्य व अतुलनीय योगदान व उनके महान व्यक्...
सागर से शिखर तक का अग्रदूत

सागर से शिखर तक का अग्रदूत

इतिहास, उत्तराखंड हलचल, संस्मरण, हिमालयी राज्य
चारु तिवारी स्वामी मन्मथन जी की पुण्यतिथि पर विशेष। हमने 'क्रियेटिव उत्तराखंड-म्यर पहाड़' की ओर से हमेशा याद किया। हमने श्रीनगर में उनका पोस्टर भी जारी किया था। उन्हें याद करते हुये- हे ज्योति पुत्र! तेरा वज्र जहां-जहां गिरा ढहती कई दीवारें भय की स्वार्थ की, अह्म की, अकर्मण्यता की तू विद्युत सा कौंधा और खींच गया अग्निपथ अंधकार की छाती पर तुझे मिटाना चाहा तामसी शक्तियों ने लेकिन तेरा सूरज टूटा भी तो करोड़ों सूरजों में। उनकी हत्या के बाद गढ़वाल में शोक की लहर दौड़ गई। अंजणीसैंण (टिहरी गढ़वाल) में उनके द्वारा स्थापित श्री भुवनेश्वरी महिला आश्रम के आनन्दमणि द्विवेदी ने इस कविता से अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये। कौन है यह ज्योति पुत्र! निश्चित रूप से स्वामी मन्मथन। इस नाम से शायद ही कोई गढ़वाली अपरिचित हो। साठ-सत्तर के दशक में गढ़वाल में सामाजिक चेतना के अग्रदूत। एक ऐसा व्यक्तित्व ...