Tag: जल वैज्ञानिक

विश्व वैटलैंड्स डे: जैव विविधता के संरक्षण का दिन

विश्व वैटलैंड्स डे: जैव विविधता के संरक्षण का दिन

देश—विदेश
डॉ. मोहन चंद तिवारी आज 2 फरवरी को भारत सहित दुनियाभर के देशों में 'विश्व वैटलैंड्स डे' मनाया जा रहा है,जिसका उद्देश्य है- विश्व में आर्द्रभूमि को विलुप्त होने से बचाना और उसके सरक्षण के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करना. 'विश्व आर्द्रभूमि दिवस' पर आर्द्रभूमि को लुप्त होने से बचाने का यह विचार एक पर्यावरणवादी आंदोलन भी है,जिसकी सफलता के लिए हर प्रकार के मानवीय, राजनीतिक और वित्तीय धरातल पर प्रयत्न किए जाने चाहिए, ताकि जिन आर्द्र भूमियों को हमने अब तक लुप्त होने दिया है,उन्हें पुनर्स्थापित किया जा सके. 30 अगस्त 2021 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्वीकृत प्रस्ताव के तहत इस वर्ष 'विश्व वैटलैंड्स दिवस' 2022 का थीम रखा गया है- 'वेटलैंड्स एक्शन फॉर पीपल एंड नेचर'. जिसका हिंदी में आशय है लोगों और प्रकृति के लिए आर्द्रभूमि के प्रति कार्यवाही,जो मनुष्यों और ग्रहों की अनुकूलता के लिए भी आर्द्र...
वेदों के ‘इंद्र-वृत्र युद्ध’ मिथक का जल वैज्ञानिक तात्पर्य    

वेदों के ‘इंद्र-वृत्र युद्ध’ मिथक का जल वैज्ञानिक तात्पर्य    

साहित्‍य-संस्कृति
भारत की जल संस्कृति-7 डॉ. मोहन चन्द तिवारी भारतवर्ष प्राचीनकाल से ही एक कृषि प्रधान देश रहा है. कृषि की आवश्यकताओं को देखते हुए ही यहां समानांतर रूप से वृष्टिविज्ञान, मेघविज्ञान और मौसम विज्ञान की मान्यताओं का भी उत्तरोत्तर विकास हुआ. वैदिक काल में इन्हीं मानसूनी वर्षा के सन्दर्भ में अनेक देवताओं को सम्बोधित करते हुए मंत्रों की रचना की गईं. वैदिक देवतंत्र में इंद्र को सर्वाधिक पराक्रमी देव इसलिए माना गया है क्योंकि वह आर्य किसानों की कृषि व्यवस्था को सुचारु रूप से चलाने के लिए मेघों से जल बरसाता है और इस जल को रोकने वाले वृत्र नामक दैत्य का वज्र से संहार भी करता है- "इन्द्रस्य नु वीर्याणि प्र वोचं यानि चकार प्रथमानि वज्री. अहन्नहिमन्वपस्ततर्द प्र वक्षणा अभिनत्पर्वतानाम्॥"                 -ऋग्वेद,1.32.1 ऋग्वेद में बार-बार इन्द्र द्वारा वृत्र का संहार करके जल को मुक्त कराने का ...