स्व. चन्द्रसिंह ‘राही’ : त्याडज्यू सै गै छा हो!
पुण्यतिथि (10 जनवरी, 2018) पर राही जी का स्मरण
चारु तिवारी
रात के साढ़े बारह बजे उनका फोन आया. बोले, ‘त्याड़ज्यू सै गै छा हो?’ एक बार और फोन आया. मैंने आंखें मलते हुये फोन उठाया. सुबह के चार बजे थे. बाले- ‘त्याड़ज्यू उठ गै छा हो.’ उनका फोन कभी भी आ सकता था. कोई औपचारिकता नहीं. मुझे भी कभी उनके वेवक्त फोन आने पर झुझंलाहट नहीं हुई. अल्मोड़ा जनपद के द्वाराहाट स्थित मेरे गांव तक वे आये. मेरे पिताजी को वे बाद तक याद करते रहे. घर में जब आते तो बच्चों के लिये युद्ध का मैदान तैयार हो जाता. वे ‘बुड्डे’ की कुमाउनी वार से अपने को बचाने की कोशिश करते. पहली मुलाकात में पहला सवाल यही होता कि- ‘त्वैकें पहाड़ि बुलार्न औछों कि ना?’ मेरी पत्नी किरण तो उनके साथ धारा प्रवाह कुमाउनी बोलती. पानी के बारे में उनका आग्रह था कि खौलकर रखा पानी ही पीयेंगे. हमारी श्रीमती जी हर बार इस बात का ध्यान रखती और उनको आश्वस्त क...