Tag: चन्द्रसिंह गढ़वाली

चन्द्रसिंह ‘गढ़वाली’ जब नाटक में देवता के रूप में अवतरित हुए

चन्द्रसिंह ‘गढ़वाली’ जब नाटक में देवता के रूप में अवतरित हुए

संस्मरण
पेशावर विद्रोह दिवस पर यात्रा-संस्मरण डॉ. अरुण कुकसाल ...कैन्यूर बैंड से 20 किमी. चलकर हम पीठसैण पहुंचे हैं. पीठसैण (समुद्रतल से 2250 मीटर ऊंचाई) एक ऊंची धार पर एकदम पसरा है, ग्वाले की तरह. जैसे कोई ग्वाला ऊंचे टीले पर अधलेटा आराम फरमाते हुए नीचे घाटी में चरते अपने जानवरों पर भी नजर रख रहा हो. ‘पहाड़ी भाषा में ‘सैण’ का मतलब ‘मैदान’ होता है और ‘सैण’ में 'ई' की मात्रा लगा दो तो पहाड़ी में ‘सैणी’ ‘महिला’ को कहते हैं’. अब तक बिल्कुल चुप रहने वाले अजय ने अपनी चुप्पी इस ज्ञानी बात को कहकर तोड़ी है. सपकपाया अजय अपनी सफाई में कहता है कि 'पीठसैण नाम पर उसे यह याद आया'. अजय की इस बात पर केवल मुस्कराया ही जा सकता है. पीठसैण की वर्तमान पहचान उत्तराखण्ड के जननायक स्वर्गीय वीर चंन्द्रसिंह ‘गढ़वाली’ जी से है. (ज्ञातव्य है कि चन्द्रसिंह ‘गढ़वाली’, सेना में 2/18 रायल गढ़वाल में हवलदार थे और 23 अप्रैल, 1930...
तिलाड़ी के शहीदों को याद करने का मतलब

तिलाड़ी के शहीदों को याद करने का मतलब

इतिहास, उत्तराखंड हलचल
30 मई शहादत दिवस पर विशेष आज 30 मई है. तिलाड़ी के शहीदों को याद करने का दिन. टिहरी राजशाही के दमनकारी चरित्र के चलते इतिहास के उस काले अध्याय का प्रतिकार करने का दिन. उन सभी शहीदों को विनम्र श्रद्धांजलि, जिन्होंने हमें अपने हक-हकूकों के लिये लड़ना सिखाया. चारु तिवारी  अरे ओ जलियां बाग रियासत टिहरी के अभिमान! रवांई के सीने के दाग, तिलाड़ी के खूनी मैदान! जगाई जब तूने विकराल, बगावत के गणों की ज्वाल. उठा तब विप्लव का भूचाल, झुका आकाश, हिला पाताल. मचा तब शोर भयानक शोर, हिला सब ओर, हिले सब छोर. तिड़ातड़ गोली की आवाज, वनों में गूंजी भीषण गाज. रुधिर गंगा में स्नान, लगे करने भूधर हिमवान. निशा की ओट हुई जिस ओर, प्रलय की चोट हुई उस ओर. निशाचर बढ़ आते जिस ओर, उधर तम छा जाता घन-घोर. कहीं से आती थी चीत्कार, सुकोमल बच्चों की सुकुमार. विलखती अबलायें भी हाय! भटकती फिरती थी ...