पशु पक्षियां और परी कथा से लेकर विज्ञान की कहानियों का सफर
हिंदी बालसाहित्य का इतिहास
उदय किरौला
संपादक, बालप्रहरी
2500 वर्ष पूर्व राजा अमर कीर्ति ने पंडित विष्णुदत्त शर्मा नामक विद्वान को अपने बेटों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी. उसके चार पुत्र थे. उनका मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता था. पंडित विष्णुदत्त शर्मा ने जीव-जंतुओं को अपनी कहानी का पात्र बनाकर चारों राजकुमारों को नैतिक एवं सामाजिक सरोकारों से जोड़ने का प्रयास किया. ये कहानियां उस दौर में मौखिक सुनाई गई. बाद में ‘हितोपदेश’ नाम से ये कहानियां संस्कृत साहित्य में प्रकाशित हुई. वर्तमान में पंचतंत्र की कहानी के नाम से ये कहानियां हिंदी साहित्य में प्रचलन में हैं. पंचतंत्र की कहानियां के अतिरिक्त ईसप की कहानियां भी बालसाहित्य की प्रसिद्ध कहानियां मानी जाती हैं. ईसप यूनान का रहने वाला एक गुलाम था. वह पशु-पक्षियों पर आधारित कहानियां सुनाता था. यूनान के विद्वान वेव्रियर्स ने ईसप की कहानियां का...