बहुत कठिन है माँ हो जाना
डॉ. दीपशिखा
जैसे-जैसे कोविड-19 भारत में भी अपने पैर फैलाता जा रहा, वैसे-वैसे मेरी एक माँ के तौर पर चिंता बढ़ती जा रही है. ये चिंताएं मुझ तक महदूद नहीं हैं, मेरे जैसी हर माँ सिर्फ अपने लिए नहीं बल्कि अपने बच्चे/बच्चों के लिए चिंतित है.
ऊपर से जब से प्रेगनेंट हाथी की मौत वाली न्यूज सुनी है, हर समय दिमाग़ में वो ही चलता रहता है. फिर सुशांत की आत्महत्या की ख़बर. अब भारतीय सीमाओं पर बढ़ता तनाव. बड़ी घबराहट सी होती है. अजीब-अजीब ख़्याल, सपने आते हैं. कुछ समय से बस केवल नकारात्मकता ही फैल रही है विश्व में. हर माँ के लिए ये सबसे कठिन समय है मेरी नज़रों में. मैं भी नयी-नयी माँ बनी हूँ ना, तो ज़्यादा महसूस कर रही हूँ.
एक माँ कैसे अपने बच्चे को शरहदों की रखवाली करने भेजती होगी? फिर कैसे वो सो पाती होगी? कैसे बहुत दिनों तक उस की आवाज़ सुने बिना निवाला गले से जाता होगा उसके. जब सुनती होगी सीमा ...