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उड़ान

उड़ान

कविताएं
डॉ. दीपशिखा वो भी उड़ना चाहती है. बचपन से ही चिड़िया, तितली और परिंदे उसे आकर्षित करते. वो बना माँ की ओढ़नी को पंख, मारा करती कूद ऊँचाई से. उसे पता था वो ऐसे उड़ नहीं पायेगी फिर भी रोज़ करती रही प्रयास. एक ही खेल बार-बार. उसने उम्मीद ना छोड़ी, एक पल नहीं, कभी नहीं. उम्मीद उसे आज भी है, बहुत है मगर अब वो ऐसे असफल प्रयास नहीं करती. लगाती है दिमाग़ कि सफल हो जाए अबकी बार और फिर हर बार. फिर भी आज भी वो उड़ नहीं पाती, बोझ बहुत है उस पर जिसे हल्का नहीं कर पाती. समाज, परिवार, रिश्ते, नाते, रीति-रिवाजों और मर्यादाओं का भारी बोझ. तोड़ देता है उसके कंधे. और सबसे बड़ा बोझ उसके लड़की, औरत और माँ होने का. किसी पेपर वेट की तरह उसके मन को हवा में हिलोरें मारने ना देता. कभी-कभी भावनाओं की बारिश में भीग भी जाते हैं उसके पंख. उसके नए-नए उगे पंख. जो उसने कई सालों की मेहनत के बाद उगा...
आपका बंटी: एक समझ

आपका बंटी: एक समझ

साहित्यिक-हलचल
पुस्तक समीक्षा  डॉ पूरन जोशी  आपका बंटी उपन्यास प्रसिद्ध उपन्यासकार कहानीकार मनु भंडारी द्वारा रचित है. मनु भंडारी, उनीस सौ पचास के बाद जो नई कहानी का आंदोलन हमारे देश में शुरू हुआ उसकी एक सशक्त अग्रगामियों में से हैं. कमलेश्वर, राजेंद्र यादव, भीष्म साहनी के साथ उनका नाम एक प्रमुख स्तंभ के रूप में लिया जा सकता है. जिस दौर में मनु भंडारी ने लिखना शुरू किया वह भारत के लिए एक नितांत नया समय था, देश औद्योगिकरण नगरीकरण और आधुनिकता की नई इबारतें लिख रहा था. ऐसे समय में देश में सभी वर्गों को लेकर के एक नई बहस की आवश्यकता थी. पुरुष-स्त्री अन्य सभी वंचित वर्ग मिलकर के एक नए भारत की नई तस्वीर बनाने में लगे हुए थे. ऐसे समय में साहित्य में महिला विमर्श के स्वर बुलंद करने वाली मनु भंडारी प्रथम पंक्ति की साहित्यकारों में आती हैं. जब महिलाएं बड़ी संख्या में अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने निकल रही...