Tag: उत्तराखंड

हिमालय के सावनी गीत…

हिमालय के सावनी गीत…

ट्रैवलॉग
मंजू काला मूलतः उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल से ताल्लुक रखती हैं. इनका बचपन प्रकृति के आंगन में गुजरा. पिता और पति दोनों महकमा-ए-जंगलात से जुड़े होने के कारण, पेड़—पौधों, पशु—पक्षियों में आपकी गहन रूची है. आप हिंदी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन करती हैं. आप ओडिसी की नृतयांगना होने के साथ रेडियो-टेलीविजन की वार्ताकार भी हैं. लोकगंगा पत्रिका की संयुक्त संपादक होने के साथ—साथ आप फूड ब्लागर, बर्ड लोरर, टी-टेलर, बच्चों की स्टोरी टेलर, ट्रेकर भी हैं.  नेचर फोटोग्राफी में आपकी खासी दिलचस्‍पी और उस दायित्व को बखूबी निभा रही हैं. आपका लेखन मुख्‍यत: भारत की संस्कृति, कला, खान-पान, लोकगाथाओं, रिति-रिवाजों पर केंद्रित है. इनकी लेखक की विभिन्न विधाओं को हम हिमांतर के माध्यम से ‘मंजू दिल से…’ नामक एक पूरी सीरिज अपने पाठकों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं. पेश है मंजू दिल से… की 25वीं किस्त… म...
जनादेश का आशय : जनता क्या चाहे?

जनादेश का आशय : जनता क्या चाहे?

समसामयिक
प्रो. गिरीश्वर मिश्र  इसमें कोई संदेह नहीं कि गोवा के सागर तट , उत्तराखंड के पहाड़ , उत्तर प्रदेश कि गंगा-जमुनी मैदान और पूर्वोत्तर भारत में पर्वत-घाटी वाले मणिपुर से आने वाले चुनाव परिणामों से भारतीय जनता पार्टी की छवि राष्ट्रीय स्तर पर एक सशक्त और ऊर्जावान राजनैतिक दल के रूप में निखरी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक नायक के रूप स्वीकृति पर फिर मुहर लगी है. इस तरह के स्पष्ट राष्ट्रव्यापी जन-समर्थन को मात्र संयोग कह कर कमतर नहीं आंका जा सकता  और  न इसे जाति, धन because और धर्म के आधार पर ही समझा जा सकता है. इसे दिशाहीन विपक्ष की मुफ़्त की सौग़ात भी कहना उचित न होगा क्योंकि जहां पंजाब के परिणाम वहाँ की सरकार के विरुद्ध गए हैं और विपक्ष को पूरा अवसर मिला था उसके ठीक विपरीत भाजपाशासित प्रदेशों में मिले मुखर जनादेश शासन में आम जन का भरोसा और विश्वास को प्रकट करते हैं. साथ साथ ही वे ...
उत्तराखंड स्थापना दिवस : 21 वर्षों में मुख्मंत्रियों के सिवा बदला क्या?

उत्तराखंड स्थापना दिवस : 21 वर्षों में मुख्मंत्रियों के सिवा बदला क्या?

देहरादून
उत्तराखंड स्थापना दिवस पर विशेष प्रकाश उप्रेती उत्तराखंड राज्य के हिस्से में जो कुछ अभी है वह KBC यानी ‘कौन बनेगा करोडपति’  का एक प्रश्न है. यही हमारा हासिल भी है. हमारे यहाँ कौन बनेगा सीएम (KBC) सिर्फ because चुनाव के समय का प्रश्न नहीं है बल्कि स्थायी प्रश्न है. इसीलिए स्वास्थ्य, रोजगार, शिक्षा, कृषि, पर्यटन, परिवहन, पलायन आदि की स्थिति में कोई गुणात्मक अंतर इन 21वर्षों में नहीं आया है लेकिन वहीं इन 21 वर्षों में हमने 11 मुख्यमंत्री जनता पर थोप दिए. असल में यही हमारी 21 वर्षों की बड़ी उपलब्धि है. ज्योतिष एक राज्य के हिस्से में 21 वर्ष का समय क्या वाकई में वयस्क और परिपक्व होने का पर्याप्त समय है! विकास के पंचवर्षीय वादों पर वोट लुटा देने वाले नागरिक समाज के लिए 21 वर्ष के क्या मायने हैं. इन वर्षों में उन सपनों का क्या हुआ जिनके लिए संघर्ष किया गया था. इन 21 वर्षों में साल-दर-साल प...
उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा : ‘संकट की घड़ी’ में शाह के ‘भरोसे’ पर खरे उतरे धामी

उत्तराखंड प्राकृतिक आपदा : ‘संकट की घड़ी’ में शाह के ‘भरोसे’ पर खरे उतरे धामी

देहरादून
हवाई सर्वेक्षण और उच्च स्तरीय बैठक में केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने प्रदेश में आपदा की स्थिति का लिया जायजा हिमांतर ब्यूरो, देहरादून केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आपदा के समय ‘बचाव और राहत अभियान’ की कमान खुद संभालने पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की जमकर तारीफ की है. because उन्होंने कहा कि ‘केंद्र से जारी चेतावनी के बाद राज्य सरकार की तत्परता और सतर्कता से अतिवृष्टि के प्रभाव को काफी हद तक कम करने में सफलता मिली है. धामी संकट की घड़ी में पूरी तरह से खरे उतरे, उन्होंने स्थिति को बहुत अच्छे तरीके से संभाला’. ज्योतिष आपदा प्रभावित क्षेत्रों में बचाव और राहत में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री धामी ने गढ़वाल से कुमाऊं तक कई तूफानी दौरे किए. पीड़ितों को ढांढस बंधाने में उन्होंने रात–दिन एक कर दिया. because हर पीड़ित के पास पहुंचने को वह आतुर दिखे. जलभराव के कारण कई जगहों पर उन्हे...
मृत्यु तक स्वयं से जूझती रही वह

मृत्यु तक स्वयं से जूझती रही वह

किस्से-कहानियां
त्याग: सत्य घटना पर आधारित कहानी प्रभा पाण्डेय आज से पन्द्रह-बीस साल पहले तक हमारे पहाड़ की महिलाओं की स्थिति बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं थी क्योंकि मैंने अपने ही गांव में अनेक महिलाओं को इन परिस्थितियों की भेंट चढ़ते देखा. रामदेव नाम के एक व्यक्ति का सबसे बड़ा एक बेटा और चार छोटी बेटियां थी, बहुत कम पढ़ा-लिखा और स्वभाव से कुछ अहंकारी होने के because कारण रामदेव बेकार था. परन्तु समय ने उसे ऐसा सबक सिखाया कि उसने पण्डिताई का काम शुरू कर दिया.इस काम में उसे अधिकतर घर से बाहर रहना पड़ता. चारों तेज तर्रार बेटियां, तेज तर्रार माँ के साथ अपनी  थोड़ी बहुत पुश्तैनी खेती के साथ-साथ दूसरों के खेतों में मजदूरी कर  अपना गुजारा कर लेते थे जैसे-तैसे दो बड़ी बेटियों का विवाह भी हो गया. ज्योतिष एक दिन रामदेव का छोटा भाई अपने बच्चों व पत्नी सहित पुश्तैनी घर आ गया. वह  भी भाबर क्षेत्र में रहकर पण्डिताई ...
मुख्यमंत्री ने राज्य आन्दोलनकारियों को मुज्जफरनगर शहीद स्मारक में दी श्रद्धाजंलि

मुख्यमंत्री ने राज्य आन्दोलनकारियों को मुज्जफरनगर शहीद स्मारक में दी श्रद्धाजंलि

देहरादून
राज्य आन्दोलनकारियों को राजकीय मेडिकल कालेजों में मिलेगी मुफ्त उपचार की सुविधा : मुख्यमंत्री  हिमांतर ब्यूरो, देहरादून मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारी सरकार शहीदों के सपनों और राज्य आन्दोलनकारियों की भावनाओं के अनुरूप उत्तराखंड को हर क्षेत्र में आगे बढ़ायेगी. जनता सरकार के भाव को समझे. यह बात उन्होंने उत्तराखंड शहीद स्मारक रामपुर तिराहा, मुजफ्फरनगर में उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी शहीदों की पुण्य स्मृति पर because उन्हें श्रद्धाजलि अर्पित करते हुए कही. उन्होंने राज्य आन्दोलनकारियों के हित में कई घोषणायें कीं, जिनमें राज्य आन्दोलनकारियों को सरकारी अस्पतालों की तर्ज पर राजकीय मेडिकल कालेजों में मुफ्त उपचार उपलब्ध करवाने, उद्योग धंधों में राज्य आन्दोलकारियों और उनके परिजनों को प्राथमिकता के आधार पर रोजगार देने और विभिन्न विभागों में सेवारत राज्य आन्दोलनकारियों को हटाये जाने ...
जगमोहन बंगाणी: चित्रकारी में शब्दों का जादूगर…

जगमोहन बंगाणी: चित्रकारी में शब्दों का जादूगर…

कला-रंगमंच
प्रकाश उप्रेती उत्तराखंड का एक छोटा सा गाँव मौंडा है. यह हिमाचल और उत्तराखंड के बॉर्डर पर स्थित है. एक तरह से उत्तरकाशी जिले का अंतिम छोर . मौंडा गाँव से एक लड़का कला (आर्ट) का पीछा because करते-करते देहरादून, दिल्ली होते हुए लंदन तक पहुँच जाता है. जिस दौर में इस लड़के ने कला का पीछा किया उस दौर में पहाड़ के ज्यादातर लड़कों की दौड़ सड़क से शुरू होकर सेना तक पहुँचती थी. इसलिए लंदन से लौटने पर उसके पिता ने भी उससे पूछा- बेटा विदेश से आ गया है... ये बता कोई सरकारी नौकरी इस पढ़ाई से लगेगी कि नहीं ? पहाड़ के हर पिता की चिंता अपने बेटे के लिए एक अदत सरकारी नौकरी की होती थी. ज्योतिष वह नहीं जानते थे कि उनका लड़का जो कर रहा है उसमें वह सरकारी नौकरी की दौड़ से बहुत दूर अपनी दुनिया में चला गया है. उसकी दुनिया, रंगों की दुनिया है. उसकी दुनिया because भविष्य को रेखाओं के माध्यम से रचने की दुनिया ह...
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जल उपलब्धता का संकट और संभावित निदान!

उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जल उपलब्धता का संकट और संभावित निदान!

पर्यावरण
डॉ. दिनेश सती भूविज्ञान/भू-अभियांत्रिकी विशेषज्ञ दुनिया की कुल जनसंख्या का 10% भाग के साथ हमारे देश में मीठे पानी की उपलब्धता दुनिया का मात्र 4% ही है, जो कि पर्याप्त नहीं है. जल संसाधन मंत्रालय (MoWR) के एक अनुमान के अनुसार हमारे पास वर्तमान में प्रति व्यक्ति 1,545 घन मी. (m3) ही जल उपलब्ध है, जो यह बताता है कि because हमारा देश पहले ही पानी की कमी की (Water Stressed) स्थिति में पहुंच चुका है. इसी अनुमान के अनुसार यदि हम समस्त जल का उपयोग भी ठीक से कर पाएं, तभी भी सन 2050 तक हमारे देश में पानी की कमी (Water Scarced) हो जाएगी, जो वाकई एक बुरी स्थिति को दिखाता है! गणेश अफसोसजनक बात तब हो जाती है जब उत्तराखंड प्रदेश, जहां से देश की सबसे बड़ी नदियां - गंगा और यमुना निकलती हैं और जो देश के मैदानी इलाकों (Indo-gangetic plains) में करोड़ो की प्यास बुझाती हैं, उनकी गोद में बसे कई क्षेत्र अ...
हरताली’: सामवेदी तिवारी ब्राह्मणों का यज्ञोपवीत पर्व

हरताली’: सामवेदी तिवारी ब्राह्मणों का यज्ञोपवीत पर्व

लोक पर्व-त्योहार
एक धर्मशास्त्रीय विवेचन डॉ. मोहन चंद तिवारी  इस बार 9 सितंबर,2021 (भादो 24 पैट) because को भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया  तिथि और हस्त नक्षत्र के पावन अवसर पर हरताली तीज और सामवेदी ब्राह्मणों का उपाकर्म का पर्व मनाया जा रहा है. इस दिन अखंड सौभाग्य व उत्तम वर की कामना से महिलाएं व युवतियां निर्जल निराहार रहकर शिव-पार्वती का पूजन करती हैं. कोलकाता धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार इस दिन हस्त नक्षत्र के अवसर पर कुमाऊं उत्तराखंड के सामवेदी तिवारी ब्राह्मणों द्वारा यज्ञोपवीत धारण तथा रक्षासूत्र बंधन का पर्व 'हरताली' मनाया जाता है. सदियों से चली आ रही इस 'हरताली' की परम्परागत मान्यता के अनुसार because कुमाऊं में तिवारी, तिवाड़ी, तेवारी, तेवाड़ी, त्रिपाठी, त्रिवेदी आदि उपनामों से प्रचलित सामवेदी ब्राह्मण ‘हस्त’ नक्षत्र में ही ‘हरताली’ तीज पर जनेऊ धारण करते हैं. हरताली के दिन प्रा...
द्रोणगिरि में संजीवनी बूटी का सच क्या है?

द्रोणगिरि में संजीवनी बूटी का सच क्या है?

साहित्‍य-संस्कृति
डॉ. मोहन चंद तिवारी आज तक संजीवनी क्यों नहीं मिली क्योंकि संजीवनी बूटी का जो वास्तविक पर्वत द्वाराहाट स्थित दुनागिरि है, वहां इस दुर्लभ बूटी को खोजने का कभी प्रयास ही नहीं हुआ. दूसरी खास so बात यह है कि उत्तराखंड सरकार हो या पतंजलि योगपीठ इन्होंने कभी रामायण, महाभारत, पुराण आदि ग्रन्थों में संजीवनी बूटी के पौराणिक भूगोल और रामायण की घटनाओं का गम्भीरता से अध्ययन ही नहीं किया. इतिहास बताता है कि संजीवनी बूटी तो महाभारत काल में ही लुप्त हो चुकी थी. फिर भी संजीवनी बूटी की खोज में रुचि रखने वाले टीवी चैनलों और विद्वानों के लिए आज भी प्रासंगिक है मेरा चार वर्ष पहले लिखा गया यह लेख. नेता जी 29 सितंबर, 2008 को टीवी चैनल- आईबीएन-7 के माध्यम से जब योगगुरु बाबा रामदेव के हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ के स्वामी बालकृष्ण द्वारा गढ़वाल जिले के 'द्रोणागिरी' पर्वत पर जाकर रामायणकालीन संजीवनी बूटी क...