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प्रेम, मनोभाव और विद्रोह की सशक्त अभिव्यक्ति है – ‘बाकी हूँ अभी’  

प्रेम, मनोभाव और विद्रोह की सशक्त अभिव्यक्ति है – ‘बाकी हूँ अभी’  

पुस्तक-समीक्षा
नीलम पांडेय ‘नील’, देहरादून डॉ. ईशान पुरोहित का काव्य संग्रह एक सौ ग्यारह (111) कविताओं और ग़ज़लों का दावतनामा है. डॉ. ईशान पुरोहित का काव्य संग्रह 'बाकी हूँ अभी' प्रेम, मनोभाव और विद्रोह की एक सशक्त अभिव्यक्ति है. इस संग्रह की कविताएँ प्रेम के विविध आयामों को समेटे हुए हैं- कभी आत्ममंथन, कभी समर्पण, तो कभी मनुहार और शिकायतों के रूप में. यह प्रेम केवल रोमांटिक भावनाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन के अनुभवों, मानवीय संवेदनाओं और अस्तित्व के संघर्षों से भी जुड़ा हुआ है. मैंने यह संग्रह पूरा नहीं पढ़ा था, क्योंकि मैं जब भी कोई पुस्तक पढ़ती हूँ, तो उसे जल्दबाज़ी में ख़त्म करने के बजाय धीरे-धीरे, जब समय मिले और मूड हो, तभी पढ़ पाती हूँ. इस संग्रह की हर कविता को पढ़ने के बाद यह अपने आप में एक अलग और अनूठी कृति लगी. कुछ गीत-से, कुछ ग़ज़ल-से और कुछ कविताएँ—हर रचना अपनी अलग पहचान बनाती है. डॉ. प...