श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के हर्षोल्लास एवं धरती के प्रति कृतज्ञता का पर्व है आठाँईं पूजन
दिनेश रावत
देवभूमिउत्तराखण्ड के सीमांत जनपद उत्तरकाशी का पश्चिमोत्तर रवाँई क्षेत्र अपनी सामाजिक—सांस्कृतिक विविधता एवं विशिष्टता के लिए सदैव से ही विख्यात रहा है. पर्व—त्योहार—उत्सव हों या कोई अन्य सामाजिक—सांस्कृतिक आयोजन, सभी की अपनी—अपनी विशिष्टताएं हैं. पर्व—त्योहारों की श्रृंखला में प्रमुखता से शामिल है 'भादों की आठाँई' या 'दुर्बाष्टमी को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव'.
ज्योतिष
लोक की अपनी रीति—नीति, मान्यता—परम्पराएं होती हैं उन्हीं के आलोक में लोकवासी श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं, जो पूरी तरह विरल व विविधतायुक्त होता है.कृष्ण के साथ because लोकपूजित समस्त देवी—देवताओं का आह्वान—स्मरण, पूजन—वंदन और धरती के प्रति कृतज्ञता अभिव्यक्त करते हुए आनन्द—उत्सव मनाते हैं.
ज्योतिष
भाद्रपद मास यानी एक तरफ श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूमदूसरी तरफ गाँव—घरों के आस—पास मौसमी साग—सब्जी व फलों से भरे ...