जीवन में क्यों आवश्यक है सत्संग…
राधा कांत पाण्डेय
श्रीमद्भागवत के माहात्म्य में अजामिल प्रसंग का बहुत सुंदर वर्णन किया गया है- अजामिल पूर्व में बड़ा ही शास्त्रज्ञ शीलवान, सदाचारी व सदगुण संपन्न था. किंतु जीवन में सैद्धांतिक निष्ठा के अभाव के कारण वह पथभ्रष्ट और कामवासना के गहरे दलदल में चला गया. जब व्यक्ति के जीवन में विचार,साधना, अध्ययन, अभ्यास और चिंतन का लोप होता है तो प्रायः व्यक्ति की स्थिति अजामिल के जैसी हो जाती है. जीवन पथ पर तनिक भी सावधानी हटी तो दुर्घटना घटने के योग प्रबल हो जाते हैं.
इसीलिए जीवन को साधने के लिए अभ्यास और अनुशासन की आवश्यकता होती है. इंद्रियों का संयम जरूरी होता है. जो आध्यात्मिक गुरु एवं श्रेष्ठ साधकों की निकटता और आशीष से ही प्राप्त हो सकता है.
चूँकि भगवान की माया बहुत प्रबल है उसकी कसौटी पर कोई बिरला ही खरा उतर सकता है. भगवान पहले तो अपने भक्तों की कठिन परीक्षा लेते हैं लेकिन जैसे ही भक...