Tag: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस : एकै साधे सब सधे !

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस : एकै साधे सब सधे !

अध्यात्म
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून, 2024) पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  जीवन की डोर साँसों से बंधी होती है इसलिए सामान्य व्यवहार में सांस लेना जीवन का पर्याय या लक्षण के रूप में प्रचलित है. सांस अन्दर लेना और बाहर निकालना एक स्वत:चालित स्वैच्छिक शारीरिक क्रिया है जो शरीर में दूसरी प्रक्रियाओं को प्रभावित करती है और हमारे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सीधा असर डालती हैं. योग-विज्ञान में साँस लेना सिर्फ शारीरिक अभ्यास नहीं है. वह आध्यात्मिक विकास की राह भी है और तन-मन से स्वस्थ बने रहने का एक सरल नुस्खा भी है. योग के अंतर्गत प्राणायाम में साँस लेने के विभिन्न तरीकों पर विशेष चर्चा की गयी है.  योगियों की अनेक उपलब्धियाँ का आधार साँसों के नियंत्रण में ही छिपा हुआ है. प्राणायाम का अर्थ होता है प्राण का विस्तार और उसकी अभिव्यक्ति. हमारा मन प्राण के साथ वैसे ही जुड़ा होता है जैसे एक पतंग धागे...
आज की अपरिहार्य आवश्यकता है योग

आज की अपरिहार्य आवश्यकता है योग

अध्यात्म
योग दिवस (21 जून) पर विशेष  प्रो. गिरीश्वर मिश्र  चिकित्सा-विज्ञान के ताजे अनुसंधान हमारी जीवन-शैली और स्वास्थ्य के बीच बड़ा निकट का रिश्ता बता रहे हैं. इस बात की पुष्टि इस तथ्य से भी होती है कि अवसाद, चिंता, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, कैंसर और मधुमेह जैसे जानलेवा रोगों के शिकार लोगों की संख्या में जो तेज़ी से इज़ाफ़ा हो रहा है वह बहुत हद तक जीवन-शैली में आ रहे बदलावों के समानांतर है. जीवन-शैली मुख्यतः हमारे स्वभाव, रहन-सहन, तथा खान–पान की आदतों से जुड़ी होती है. अब सुख-सुविधा के अधिकाधिक साधन आम लोगों की पहुँच के भीतर आते जा रहे हैं. वैश्वीकरण के साथ ही सामाजिक और भौगोलिक गतिशीलता भी तेज़ी से बढ रही है. ऊपर से सूचना और संचार की प्रौद्योगिकी घर और बाहर (नौकरी) के कार्य का स्वरूप भी अधिकाधिक डिजिटल बनाती जा रही है. इन सब परिवर्तनों के चलते शरीर के रख-रखाव के लिए ज़रूरी व्यायाम का अभ्यास क...
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: समग्र जीवन का उत्कर्ष है योग

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस: समग्र जीवन का उत्कर्ष है योग

योग-साधना
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून, 2022)  पर विशेष प्रो. गिरीश्वर मिश्र  आज के सामाजिक जीवन को देखें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हर कोई सुख, स्वास्थ्य, शांति और समृद्धि के साथ जीवन में प्रमुदित और प्रफुल्लित अनुभव करना चाहता है. इसे ही जीवन का उद्देश्य स्वीकार कर मन में इसकी अभिलाषा लिए because आत्यंतिक सुख की तलाश में सभी व्यग्र हैं और सुख है कि अक्सर दूर-दूर भागता नजर आता है. आज हम ऐसे समय में जी रहे हैं जब हर कोई किसी न किसी आरोपित पहचान की ओट में मिलता है. दुनियावी व्यवहार के लिए पहचान का टैग चाहिए पर टैग का उद्देश्य अलग-अलग चीजों के बीच अपने सामान को खोने से बचाने के लिए होता है. टैग जिस पर लगा होता है उसकी विशेषता से उसका कोई लेना-देना नहीं होता. ज्योतिष आज हमारे जीवन में टैगों का अम्बार लगा हुआ है और टैग से जन्मी इतनी सारी भिन्नताएं हम सब ढोते चल रहे हैं. मत, पंथ, पार्टी, जाति,...