संस्मरण : रानीखेत…. अभी तक आठ इंच से एक फिट तक बर्फ गिर चुकी है!
नीलम नवीन 'नील'
“जीवन में होश संभालने के बाद के 40 वर्षों को अगर बांटा जाए, तो देखती हूं कि पूरे जीवन के दो दो दशक, दो शहरों में गुजरे हैं. एक भागता, दौड़ता, बदलता, चीखता-चिल्लाता, रंगीन मिजाज, समुद्र के उठान-उफान जैसा बड़ा छोटा मिश्रित शहर. जहां एक हफ्ते बाद बाजार जाओ तो कुछ न कुछ बदल रहा होता है, लोग, मौसम, हवा ...सब बदल रहे हैं, ये एक ऐसा शहर है, जो कई बार पहाड़ी कस्बे सा दिखता है तो कभी मेट्रो सिटी जैसा होने का आभास देता है. जहां एक टोली निरपट्ट पहाड़ियों की है, तो दूसरी बिल्कुल अलग है, यह बेहद मिश्रित शहर है.
दूसरा छोटा शहर बिल्कुल खामोश है, कोई हलचल नहीं, कोई जल्दी नहीं, एकदम शांत, गहरी धीमी नदी सा बहता हुआ, जैसे सदियों से ध्यानस्थ हो, जैसे अपने पूर्वजों को याद करते हुए, उन्हें अनुसरण करता हुआ चल रहा हो. वहां के लोग पहचाने जाते हैं, या एक दूसरे को उनके हाव भाव, बातचीत के अंदाज ...