हिमालय की एक परंपरा का जाना है पर्यावरणविद विश्वेश्वर दत्त सकलानी का अवसान
'वृक्ष मानव' विश्वेश्वर दत्त सकलानी जी की जयंती (2 जून, 1922 ) पर सादर नमन
चारु तिवारी
प्रकृति को आत्मसात करने वाले वयोवृद्ध पर्यावरणविद विश्वेश्वर दत्त सकलानी का अवसान हिमालय की एक परंपरा का जाना है. उन्हें कई सदर्भों, कई अर्थों, कई सरोकारों के साथ जानने की जरूरत है. पिछले दिनों जब उनकी मृत्यु हुई तो सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा के समाचार माध्यमों ने उन्हें प्रमुखता के साथ प्रकाशित-प्रसारित किया. इससे पहले शायद ही उनके बारे में इतनी जानकारी लेने की कोशिश किसी ने की हो. सरकार के नुमांइदे भी अपनी तरह से उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुये. मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया. जैसे भी हो यह एक तरह से ‘वृक्ष मानव’ की एक परंपरा को जानने का उपक्रम है जिसे कई बार, कई कारणों से भुलाया जाता है. 96 वर्ष की उम्र में (18 जनवरी, 2019) उन्होंने अपने गांव सकलाना पट्टी ...