आम के इतने नाम कि…
मेरे हिस्से और पहाड़ के किस्से भाग—26
प्रकाश उप्रेती
आज बात- 'आम' और 'नाम' की. हमारे गाँव में आम ठीक-ठाक मात्रा में होता है. गाँव का एक सामूहिक बगीचा है जिसमें सभी गाँव वालों के पेड़ हैं. उसमें बहुत से पेड़ तो गांवों के 'बुबुओं' (दादा जी लोगों के नाम के) के नाम के भी हैं. दुनिया में कई क़िस्म के आम और उनके अलग-अलग नाम होते हैं लेकिन अपने गाँव के आम और नाम की कहानी अलहदा ही है.
घर से थोड़ा ही दूर यह सामूहिक बगीचा था. उसमें 14-15 आम के पेड़ हमारे भी थे. सभी अलग किस्म और नाम के आम थे. एक था- 'सुंदरी आम'. सुंदर दिखने के कारण उसका नाम 'सुंदरी आम' पड़ गया. इस आम में बड़ी अच्छी खुशबू आती थी, स्वरूप में ये लंबा व आगे से थोड़ा लाल सा होता था. पकने के बाद तो यह आम और ज्यादा सुंदर दिखाई देता था. एक था- 'कलमी आम'. 'कलम' के जरिए वह पेड़ लगा था तो 'कलमी आम' नाम पड़ गया. यह आम गोल और बहुत मीठा होता था. ज्...