Tag: भारत चौहान

35 साल पहले बंटे दो परिवार हुए एक, गांव में जश्न का माहौल

35 साल पहले बंटे दो परिवार हुए एक, गांव में जश्न का माहौल

देहरादून
जौनसार-बावर के बिजनू गांव के इस परिवार का 1990 में हुआ था बटवारा और 2025 में हुए एक   भारत चौहान ऐसे समय में जब परिवार विखंडित हो रहे हैं लोग एकाकी परिवारों में रहना पसंद कर रहे हैं तब जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर में एक ऐसा उदाहरण सामने आया है इस परिवार का 1990 में बटवारा हो गया था वह 2025 में एक हो गया. यह वास्तविकता है जौनसार बावर के खत ऊपरली अठगाव ग्राम बिजनू की. बिजनू गांव में कुल 25 परिवार निवास करते हैं जिसमें‌ तिरनोऊ परिवार के तीन भाई अतर सिंह, सूरत सिंह और किशन सिंह सामूहिक रूप से रहते थे, तीनों ही सगे भाई है. सन 1990 में परिवार में कुछ विवाद हुआ और परिवार‌ का दो हिस्सों में बटवारा हो गया. जिसमें अतर सिंह और किशन सिंह एक तरफ हो गए और बीच वाले भाई सूरत सिंह अपने तीन बेटियों और दो बेटों पत्नी सहित अलग हो गए. समस्त गांववासियों ने पंडित को बुलाकर नियमानुसार परिवार और खेती-बाड़ी का...
‘लोखंडी’ मतलब पर्यटकों का ‘स्वर्ग’

‘लोखंडी’ मतलब पर्यटकों का ‘स्वर्ग’

पर्यटन
भारत चौहान चकराता से 20 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से लगभग 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित लोखंडी दो पर्वतों के बीच की एक घाटी है. जो दो जंगलों को आपस में जोड़ती है- बुधेर जंगल और देवबन जंगल. यह स्थान प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत सुंदर है. यहां से हिमाचल के सिरमौर क्षेत्र के दर्शन आसानी से होते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां  पारियों (आछरियों) का वास होता है. जिनको 'अगाशी देवी' अर्थात् आकाश की देवी और 'वन देवी' के नाम से भी जाना जाता है. स्थानीय बुजुर्गों का मानना है कि जहां देवियां वास करती है वह स्थान अत्यंत पवित्र रहना चाहिए, वहां किसी प्रकार की गंदगी या ऊंची आवाज में चिल्लाना खतरे से खाली नहीं होता है. अर्थात देवी उस आदमी पर प्रकट हो जाती है और वह तरह-तरह के कृत्य और नृत्य करने लग जाता है. (इसलिए पर्यटकों से विशेष आग्रह रहता हैं कि इस प्रकार के पवित्र स्थान पर किसी प्रकार का शोरगुल अथवा गं...
आस्था का सैलाब: चालदा महासू महाराज की प्रवास यात्रा का क्रम

आस्था का सैलाब: चालदा महासू महाराज की प्रवास यात्रा का क्रम

देहरादून
भारत चौहान कश्मीर से हनोल की महासू महाराज की प्रवास यात्रा का एक लंबा क्रम है, हनोल (Hanol) में प्रकटीकरण के पश्चात बोटा महाराज हनोल में ही विराजित रहते हैं. जबकि चालदा महाराज जौनसार-बावर, उत्तरकाशी (Uttarkashi) एवं हिमाचल (Himachal) प्रदेश में प्रवास करते हैं. चालदा महाराज की प्रवास यात्रा के इतिहास की लंबी कढ़ी है परंतु ब्रिटिश सरकार ने चालदा महाराज के प्रवास को दो भागों में विभक्त किया एक भाग साटी बिल (तरफ) मतलब जौनसार बावर एवं आंशिक हिमाचल का क्षेत्र जिसके वजीर दीवान सिंह जी है जो बावर क्षेत्र के बास्तील गांव के निवासी है और दूसरा भाग पासी बिल मतलब उत्तरकाशी जनपद व हिमाचल प्रदेश का क्षेत्र. जिसके वजीर जयपाल सिंह जी है जो ठडीयार गांव के निवासी है. (यहां यह बात ध्यान रखने योग्य है कि चालदा महाराज के वजीर महाराज के प्रवास यात्रा की संपूर्ण व्यवस्था करते हैं. कहां पर कब प्रवास होना है यह...