‘दो व्यक्तियों के बीच का गीतात्मक वाक्य व्यवहार है बाजूबन्द गीत’
ध्यान सिंह रावत ‘ध्यानी’
समाज में गायन की अनको विधाओं का because चित्रण देखने व सुनने को मिल जाता है. छौपती, छूड़े, पवाड़े, बाजूबन्द, लामण, तांदी गीत, आदि मनोरंजन तो हैं ही साथ ही जीवन यथार्थ से जुड़ी सुख -दुःख, प्रेम प्रसंगों व अनको घटनाओं पर भी आधारित हैं. इन्हीं विधाओं में गायन की एक विधा है बाजूबन्द.
पहाड़
बाजूबन्द एक प्रकार के संवाद गीत हैं. so जो प्रायः स्त्री पुरुषों द्वारा वनों में घास- पत्ती, लकड़ी- चारा लाते हुए या भेड़- बकरी, गाय- भैंस चराते और खेतों में काम करते लम्बी सुरीली आवाज में गाये जाते हैं. ये प्रेम व मनोरंजन के लिए भी हो सकते हैं.
पहाड़
‘‘बाजूबन्द दो व्यक्तियों के but बीच का गीतात्मक वाक्य व्यवहार है जो नितान्त वैयक्तिक होता है वह सामुदायिक मनोरंजन का आधार न हो कर एक प्रकार का आत्म निवेदन है जो वनों के एकान्त में दूसरे के कानों में भले ही पड़ जाये पर वह किसी एक ...