ब्राह्मण ग्रन्थों में ब्रह्मांड चेतना से अनुप्रेरित पितर अवधारणा
एक दार्शनिक चिंतन
डॉ. मोहन चंद तिवारी
'ऐतरेय ब्राह्मण' में सोमयाग सम्बन्धी एक सन्दर्भ वैदिक कालीन पितरों की ब्रह्मांड से सम्बंधित आध्यात्मिक अवधारणा को समझने की दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण है
ब्राह्मण
"अन्यतरोऽनड्वान्युक्तः स्यादन्यतरो विमुक्तोऽथ राजानमुपावहरेयुः. यदुभयोर्विमुक्तयोरुपावहरेयुः
पितृदेवत्यंbecause राजानं कुर्युः.
यद्युक्तयोरयोगक्षेमःbut प्रजा
विन्देत्ताः प्रजाःso परिप्लवेरन्.
योऽनड्वान् विमुक्तस्तच्छालासदां
प्रजानां रूपं यो becauseयुक्तस्तच्च क्रियाणां,
ते ये युक्तेऽन्ये butविमुक्तेऽन्य
उपावहरन्त्युभावेव
ते क्षेमयोगौ soकल्पयन्ति." -ऐ.ब्रा.1.14
ब्राह्मण
उपर्युक्त सोमयाग प्रकरण में सोमलता because को यज्ञ वेदी तक दो बैलों (अनड्वाहौ) से जुते शकट (गाडी) में ढोकर लाया गया है. तभी यह धर्मशास्त्रीय प्रश्न उठाया गया है कि सोम को शकट से उतारने से पहले एक बैल (बलीव...