Tag: अमरूद

पीपलकोटी गाँव की चंदुली पुफु और दीवाली के अमरूद

पीपलकोटी गाँव की चंदुली पुफु और दीवाली के अमरूद

संस्मरण
जे पी मैठाणी पीपलकोटी उत्तराखंड के चमोली जिले का सिर्फ कोई गाँव या कस्बा नहीं है. उत्तराखण्ड में ऐसे बहुत कम कस्बे या गाँव हैं जहां पर उत्तराखण्ड की दो प्रमुख विरासतें जो गढ़वाली और कुमांऊनी परंपराओं को संजोए रखती है. यहां पीपल के पेड़ भावनाओं के केन्द्र हैं. इस कसबे में भाषा , जाति और धरम को आप सार्वजनिक स्थान पर न तो देख सकते हैं और ना ही मह्सूस कर सकते हैं . पुराने बद्रीनाथ यात्रा मार्ग पर बसा और वर्तमान में श्री बद्रीनाथ यात्रा मार्ग का प्रमुख पडाव पीपलकोटी एक ऐतिहासिक क़स्बा है. पुरातन समय में जब सड़क मार्ग नहीं था तब पैदल यात्रा मार्ग  जो चमोली. मठ, छिनका, बांवला, सियासैण,  हाट से अलकनन्दा को पार कर मंगरी गाड़ के बाद मुल्ला बाजार/शिवालय दुर्गा मंदिर से पीपलकोटी बस स्टेशन पर पहुंचता है, यही शिवालय से वर्तमान के प्रमुख बस अड्डे के बीच बसा ये ही पुराना पीपलकोटी क़स्बा है इसके बीच से ही पुरा...
बरसात के मौसम में करें फल पौधों का रोपण

बरसात के मौसम में करें फल पौधों का रोपण

समसामयिक
डॉ. राजेंद्र कुकसाल बरसात के मौसम में मुख्यत: आम, अमरूद, अनार, आंवला, लीची, कटहल,अंगूर तथा नीम्बू वर्गीय फल पौधों का रोपण किया जाता है. उद्यान लगाने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखा जाना आवश्यक हैं. स्थल का चुनाव- वर्षाकालीन फलदार पौधों के बगीचे समुद्रतल से 1500 मी॰ ऊंचाई तक लगाये जा सकते हैं ढाल का भी ध्यान रखें पूर्व व उत्तरी ढाल वाले स्थान पश्चमी व दक्षिणी ठाल वाले स्थानौ से ज्यादा ठंडे होते हैं जो क्षेत्र हिमालय के पास हैं वहां पर आम, अमरूद, लीची के पौधों का रोपण व्यवसायिक दृष्टि से लाभकर नहीं रहते हैं, ऐसे स्थानों पर नींबू वर्गीय फलदार पौधों से उद्यान लगाने चाहिए. उद्यान लगाने से पूर्व यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस फल की ज्यादा मांग हो उसी फल के उद्यान लगाये जायें. उद्यान सडक के पास होना चाहिये यदि यह सम्भव न हो तो यह आवश्यक है कि उद्यान में पहुंचने के लिए रास्ता सु...