‘पृथ्वी की सतह से ऊपर जाने पर गुरुत्वाकर्षण बल कम होता जाता है’

  • अश्विनी गौड़

बस यूँ ही समझ लीजिये कि हम पृथ्वी की धरातलीय प्रकृति से हम जितना दूर जाएँगे हम पृथ्वी के प्रति अपने कर्तव्य से उतना ही विमुख होते जाएंगे.

पर्यावरण को नजदीक से जानना,परखना so और अनुभव करना हो, तो प्रकृति की प्रकृति को समझिए.

भूमिः देवता,  पृथ्वी देवता, वसवों देवता, आदित्य देवता जैसे मंत्रों का जाप करते हमारे वेद पुराण सनातन काल से ही पृथ्वी दिवस मनाने की प्रेरणा देते आ रहे है. सत्तर के दशक से अमेरिका पर्यावरण और पृथ्वी दिवस because मनाने की कवायद कर रहा है जो कि सराहनीय पहल है पर क्या 22 अप्रैल का दिन मना कर ही हम अपनी जिम्मेदारी इतिश्री कर लें?

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सभी फोटो गूगल से साभार

आज अदृश्य वाइरस से पृथ्वी का सबसे बड़ा बुद्धिजीवी होने का दंभ so भरता मानव रक्त में ऑक्सीजन की हीमोग्लोबिन के साथ कमी से डरा-मरा पड़ा है. ऑक्सीजन की प्राकृतिक फैक्ट्री  सदाबहार हरे भरे जंगल को वनाग्नि की भेंट चढातें हम इंसान, पृथ्वी दिवस को क्या सचमुच आत्मसात कर पा रहे है?

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पृथ्वी के गहनें वृक्षों को काटने के लिए हमने विज्ञान मे बहुत नई-नई मशीनें बनाकर बहुत विकास कर लिया हो पर पेड़ो को बचाने और पृथ्वी को सजाने के मामले में हम बहुत पीछे है. वाकई पृथ्वी दिवस को समझने के so लिए हमें पृथ्वी के मूलभूत तत्व हवा पानी मिट्टी आकाश जैसे अजैविक तत्वों को समझना होगा,

पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) के आधार से लेकर टॉप उपभोक्ता तक के जीवन मूल्य को बचाने का संकल्प लेना होगा वरना हम कभी भी ‘अर्थ डे’ का अर्थ नही समझ पाएंगे. हम वहीं लोग है जो जिन्होंने because पृथ्वी की संपदा को अपनाने की होड़ में हर चीज का निजीकरण कर भरपूर शोषण किया है पानी का दिनों दिन घटता स्तर कई जगह जनजीवन को चुनौती दे रहा है तो वहीं हम मोटर समर्शीबल लगाकर धकापेल पानी खींचते जा रहे है

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ऑक्सीजन के लिए तडपते इंसान सीमेंट because सरिया के जंगल खडे कर इठला रहे है?

नॉनबायोड्रिगिडेबल पॉलीथीन के चट्टे  लगाते कूड़े के ढेर because हमारे सभ्य विकास और पृथ्वी दिवस को बयां करने को काफी है.

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दिल्ली  गाजीपुर  में कूडे का ढेर कुतुबमीनार को टक्कर दे रहा है, ये 65 मीटर ऊंचा कूडे का ढेर सिर्फ दिल्ली  ही नही हम सबके दिलों में बसते पृथ्वी दिवस की सच्चाई बयां करता है आखिर हम राॅक गार्डन because चंडीगढ़ में प्रकृति के लिबास मे लिपटे माहौल झरने गदेरे पत्थर नदी तालाब हरी दूब घास पहाडी टीले ये सब तो खूब पसंद करते है पर वास्तव में हम भूल जाते है कि प्रकृति ने हमें प्यारी पृथ्वी जैसा ग्रह दिया है जिसमें स्वस्थ जीवन के सब मूलमंत्र समाहित है बस जरूरत है इससे प्यार करने और इसके अनुकूल ब्यवहार अपनाने की.

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पृथ्वी दिवस मनाने और आजीवन बारहमास प्रकृति के प्रति हम सबको because अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी का अहसास करवाते कुछ  समसामयिक कारकों पर नजर जाना लाजिमी है आप भी देखिए और सोचिए.

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आखिर पृथ्वी दिवस क्यों?

  • रंगबिरंगी तितलियों की घटती प्रजातियां वनस्पतियों के because परागण और हमारी फसलों के परागण में न्यूनता का बहुत बड़ा कारण है,
  • पारंपरिक बीज समाप्ति की और है  वहीं हाइब्रिड so बीज दो तीन फसलों के बाद अपनी उत्पादकता खो चुके है.
  • वनों मे अंधाधुंध आग से जीवों की कई प्रजातियां  but आस्तित्व की आखिरी जंग लड़ रही है.
  • कैमिकल उर्वरकों से जमीन बंजर होकर अपनी उत्पादक के साथ-साथ जल धारण क्षमता भी खोती जा रही है.
  • टॉप मांसाहारी जानवरों के भोजन शिकार पर because मनुष्य ने डाका डालकर इन्हें मानव बस्तियों के नजदीक शिकार करने का न्यौता दे दिया.
  • बेमौसम बारिश और सूखा जैसी असंतुलित स्थिति because से जहाँ ग्लेशियर सूख कर खिसकते जा रहे हैं वहीं प्रकृति के मौसम चक्र मे परिवर्तन आ गया है.
  • तो आइए हम सब ढृढ़ संकल्प लें और खुद अपने-अपने स्तर because पर इकोफैंडली ब्यवहार अपनाए इस सुन्दर पृथ्वी को सजाएं, तभी हम पृथ्वी को सच्चे अर्थ में धरती माता का दर्जा दे पांएगे.

(दानकोट, राउमावि पालाकुराली रूद्रप्रयाग)

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