विश्व बेटी दिवस पर विशेष
- डॉ. दीपा चौहान राणा
यूँ तो बेटी हर किसी की
लाडली होती है, पर क्या आप जानते हैं कि एक बेटी अपने पिता की जान होती है. आज बेटियों के लिए बेहद खास दिन है, क्योंकि आज डॉटर्स-डे यानी विश्व बेटी दिवस है. दुनिया भर में यह दिन अलग-अलग महीनों में मनाया जाता है, लेकिन भारत में यह दिन सितंबर के आखिरी रविवार को मनाया जाता है.सप्तेश्वर
बेटियां आज भले ही किसी भी
क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. हर क्षेत्र में हैं वो तरक्की कर रही हैं, लेकिन आज भी समाज में कई जगह उन्हें कमतर आंका जाता है. इसे देखते हुए कुछ देश की सरकार ने मिलकर समानता को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया. जिससे लोग जागरूक हो और इस बात को समझे कि हर इंसान बराबर है.सप्तेश्वर
- यूं तो बेटी हर किसी की लाडली होती है, पर क्या आप जानते हैं कि बेटी और पिता के बीच खास बॉन्डिंग क्यों होती है, क्योंकि वो पापा की लाडली होती है.
- जब कोई पुरुष बेटी का पिता बनता है तो उसकी जिंदगी में कई अहम बदलाव होते हैं. जैसे वो पहले से कहीं ज्यादा इमोशनल हो जाता है. इसके अलावा कहीं ज्यादा केयरिंग और पेशेंस उसमें आता है.
सप्तेश्वर
- किसी भी बेटी को जो सुकून और प्यार, पिता के पास रहकर महसूस होता है वो किसी और के प्यार से नहीं मिलता. वही उसकी जिंदगी के पहले हीरो होते हैं.
- पापा बेटी की पढ़ाई से लेकर उसके हर सपने, करियर को पूरा करना चाहते हैं. खुले आसमान में उड़ने के पंख पिता के प्रोत्साहन से ही मिलते हैं.
- बेटी हमेशा यही समझती है कि उसके हर सपने को पापा पूरा कर सकते हैं. उसकी हर उलझन को सुलझा सकते हैं. ऐसे ही पिता भी अपनी बेटी की हर ख्वाहिश को पूरा करने की कोशिश करते हैं.
- लाइफ का कोई पड़ाव हो, पिता कभी अपनी बेटी का साथ नहीं छोड़ते. कैसी भी परिस्थतियां हों, पिता का लाड-प्यार बेटी को संभाले रखता है.
सप्तेश्वर
सप्तेश्वर
भारत में डॉटर्स-डे को मनाने के लिए रविवार का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि संडे के दिन हम सभी लोगों की काम से छुट्टी होती है, जिससे कि इस दिन माता पिता अपनी बेटियों के साथ
अच्छे से टाइम स्पेंड कर पाएं और इस दिन को खास बनाएं.वक्त के साथ धीरे-धीरे लोगों की मानसिकता
में बदलाव आ रहा है. लोगों के बीच धीरे-धीरे डॉटर्स डे मनाने का ट्रेंड बढ़ रहा है. आज लोग बेटी के होने पर सेलिब्रेट करने लगे हैं. तो आप क्या सोच रहे हैं आप भी अब आज का दिन अपनी प्यारी लाड़ली बेटी के साथ सेलिब्रेट करें और उन्हें इस बात का एहसास कराएं कि आपके लिए वह कितनी है .सप्तेश्वर
बेटियां
सहते हुए जो अपने
क्या लिखू वह परियों का रुप होती हैं,
या गम में खुशी होती है,
खुशी में हम राज होती हैं,
या कड़कती सर्दी में सुनहरी धूप होती हैं,
ओस की बूंद-सी होती है बेटियां,
स्पर्श खुरदुरा हो तो रोती हैं बेटियां
चीख कर जिद पूरी करते हैं बेटे
गुजारा कर लेती है टूटे सपनों को जोड़कर बेटियां
रोशन करेगा एक ही कुल को बेटा
दो दो कुलों की लाज होती है बेटियां
चिड़ियों की तरह चहचहाती रहती हैं,
एक दिन उड़ कर चली जाती हैं बेटियां
हीरा अगर बेटा है तो सूच्चा मोती होती है बेटियां
दूसरों का हमदर्द होती हैं बेटियां
कांटो की राह में खुद ही चलती रहेंगी,
दूसरों के लिए फुल बोती हैं बेटियां
कोख में अगर बच जाएं तो पंखे से लटकती हैं बेटियां
विधि का विधान है यही इस दुनिया की रस्म मुट्ठी भर नीर होती हैं बेटियां
(लेखिका राणा क्योर होम्योपैथिक क्लिनिक, सुभाष रोड, नियर सचिवालय, देहरादून की ऑर्नर हैं. आप इनसे 7982576595 चीकित्सकीय सलाह ले सकते हैं)