जापान में बनेगा शिव मंदिर – डॉ. होसी तकायुकी!

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महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर  श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय एवं नवयोग सूर्योदय सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस विशेष आयोजन में आध्यात्मिक गुरु बालकुंभ गुरुमुनि डॉ. होसी तकायुकी, अगस्त्य फाउंडेशन, टोक्यो, जापान से अपने 30 जापानी साधकों के साथ पधारे.

डॉ. होसी तकायुकी ने अपने आशीर्वचनों से उपस्थित योग साधकों को लाभान्वित किया तथा हवन एवं यज्ञों की प्रासंगिकता पर विस्तृत चर्चा की. उन्होंने बताया कि अब तक वे स्वयं 300 से अधिक हवन कर चुके हैं. भारत में अपने प्रवास के दौरान उन्होंने हरिद्वार का भ्रमण किया, जहां उन्हें आत्मसाक्षात्कार प्राप्त हुआ और अपने पूर्व जन्म के अनुभव भी होने लगे.

Shiv mandir in japan
 

उन्होंने शिवरात्रि के इस पावन अवसर पर भगवान शिव की भक्ति का विशेष उल्लेख किया और कहा, “हम सभी के मन में शिव हैं.” उन्होंने वेदों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए गायत्री मंत्र और ओंकार ध्वनि का उच्चारण कर कार्यक्रम का समापन किया, जिससे उपस्थित छात्रों को आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त हुई.

इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मुरलीमनोहर पाठक जी ने कहा कि अगस्त्य मुनि का भारतीय परंपरा में महत्वपूर्ण योगदान रहा है, और उनके आध्यात्मिक अनुयायी डॉ. होसी तकायुकी का सनातन धर्म के प्रति समर्पण भारतीय ज्ञान परंपरा की वैश्विक स्वीकृति को दर्शाता है.

माननीय कुलपति जी ने हर्ष पूर्वक बताया कि डॉ. होसी तकायुकी जापान में शिव मंदिर का निर्माण करेंगे, जिससे योग और आध्यात्मिकता के माध्यम से विश्व शांति का संदेश दिया जा सकेगा.

कार्यक्रम में प्रो. आरावमुदन, प्रो. मार्कण्डेय नाथ तिवारी, डॉ. विक्रम सिंह, डॉ. रमेश कुमार, डॉ जय सिंह, डॉ विजय गुसाईं सहित अन्य योग गुरुओं ने जापान से आए 30 से अधिक योग जिज्ञासुओं को योग के महत्व से अवगत कराया.

विशिष्ट अतिथि तारा चंद्र उप्रेती ने भारतीय यौगिक परंपरा को विदेशी मेहमानों को विस्तृत रूप से समझाया. रमेश शर्मा जी ने जापानी भाषा का हिन्दी अनुवाद किया जिसके माध्यम से सरलता से सम्पूर्ण वक्तव्य समझा गया. विश्वविद्यालय के कुलसचिव संतोष कुमार श्रीवास्तव भी इस अवसर पर उपस्थित रहे.

कार्यक्रम के संयोजक डॉ. नवदीप जोशी ने आशा व्यक्त की कि अगस्त्य फाउंडेशन, टोक्यो और विश्वविद्यालय के बीच यह आध्यात्मिक एवं शैक्षणिक संबंध भविष्य में भी बना रहेगा. योगाचार्य हर्ष शुक्ला एवं योगाचार्य विवेक मिश्रा ने शांति पाठ का आयोजन किया.

विश्वविद्यालय के योग विज्ञान विभाग में भविष्य में भी इस तरह के आयोजन होते रहेंगे, जिससे योग और भारतीय संस्कृति का प्रचार-प्रसार विश्वभर में हो सके.

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