
- नीरज उत्तराखंडी, पुरोला
तीन दिनों तक जारी मूसलाधार बारिश के बाद शनिवार को मौसम साफ होते ही रवांई बसंतोत्सव एवं विकास मेले के दूसरे दिन सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आनंद लेने के लिए बड़ी संख्या में दर्शक उमड़े. शनिवार को रवांई, जौनपुरी और जौनसारी संस्कृति की झलक पेश करने वाली प्रस्तुतियों ने लोगों का मन मोह लिया. रवांई बसंतोत्सव एवं कृषि विकास मेले का दूसरा दिन सांस्कृतिक विरासत और लोक कलाओं के प्रदर्शन का एक शानदार अवसर साबित हुआ. इस मेले ने न केवल स्थानीय कलाकारों को एक मंच प्रदान किया, बल्कि रवांई की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संजोने और बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.
रवांई-जौनसार के प्रसिद्ध गायक अत्तर शाह, महासू महाराज की हारूल से गायन की शुरुआत की.
उनके गीत “सीगतूर बुमली नाची”, “जमुना कू पाणी अगलाड़ की मांछी” और गढ़वाली, जौनपुरी, जौनसारी एवं रवांल्टी गीतों ने दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया.
प्रसिद्ध गायक कृपाराम कुंवर ने “नेड़-नेड़ी आइगू हनोली जागीरों” जैसे लोकप्रिय गीतों से समां बांधा.
संतोषी खत्री, सुनील बेसारी और मनोज सागर ने भी जौनपुरी और जौनसारी लोकगीतों की शानदार प्रस्तुति दी.
पूर्व विधायक राजेश जुंवाठा ने मेले को रवांई, जौनपुरी और जौनसारी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का महत्वपूर्ण मंच बताया. उन्होंने क्षेत्र के गायकों की प्रस्तुतियों की सराहना की.
नगर पालिका अध्यक्ष बिहारी लाल शाह ने मुख्य अतिथि और बाहर से आए गायकों का आभार व्यक्त किया.
इस अवसर पर दिनेश चौहान, अंकित रावत, कविंद्र असवाल, राजपाल रावत, लोकेंद्र रावत, बलदेव असवाल, मोहन लाल भूराटा, रेखा जोशी नौटियाल, मदन सिंह नेगी, जनक रावत, ईओ प्रदीप दयाल, मनोज हिमानी, हिमश्वेता असवाल, करूणा बिष्ट, अंकित सिंह रावत, अनुराधा गुसाईं, पूनम नेगी और रितेश गोदियाल सहित कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे.
रवांई के पारंपरिक पकवान, खींच रहे मेलार्थियों का ध्यान
मेला मैदान में रवांई रसोई के नाम से लगा स्टाल सब का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है. जहां मक्की व लाल चावल के आटे के सीड़े,उड़द व मूंग दाल की पकौड़ी, झंगोरे की खीर जैसे अनगिनत रवांई के ठेठ पारम्परिक लजीज पोष्टिक व्यंजन परोसे जा रहें हैं. लोग मेले में जहां सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले ही रहे हैं खरीदारी कर रहें हैं वहीं रवांई के पारंपरिक व्यंजनों का स्वाद भी चख रहे हैं.
बताते चलें पहाड़ी रसोई के नाम 2008 से रवांई के पारंपरिक पकवानो को रोजगार का जरिया बनाने वाली जमुना रावत अब रवांई रसोई नाम से हर मेला में स्टाल लगाकर रोजगार के साथ रवांई के पारंपरिक पकवानो को संरक्षित करने की प्रेरणा दे रही है.