- हिमांतर ब्यूरो, पुरोला
श्री कमलेश्वर महादेव जीप,सुमो ड्राईवर एवं आनर्स समिति द्वारा सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं रंगकर्मी महावीर रवांल्टा को सम्मानित किया गया. समिति के पुरोला स्थित
कार्यालय में बेहद सादे आयोजन में समिति के अध्यक्ष राजेंद्र सिंह रजवार, सचिव यशवीर पंवार, उपाध्यक्ष अरविन्द चौहान, संगठन मंत्री दिनेश मेहर, प्रचार मंत्री उमापति भट्ट, कोषाध्यक्ष सुरेश जोशी,संरक्षक दिलीप राणा, स्टेशन प्रभारी मनमोहन नौडियाल व मनमोहन राणा, मालचंद, त्रिलोक राणा, गुरुदेव रावत सहित अनेक लोगों की उपस्थिति में उन्हें स्मृति चिन्ह व शाल भेंटकर सम्मानित किया गया.उत्तराखंड
साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखनी चलाने वाले महावीर रवांल्टा की अब तक तीन दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. देशभर की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं के प्रकाशन के
साथ ही आकाशवाणी व दूरदर्शन से उनकी रचनाओं का प्रसारण होता रहा है. उनकी कहानियों पर आधारित नाटकों का मंचन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की संस्कार रंग टोली, कला दर्पण व विशेष बाल श्रमिक विद्यालय द्वारा दिल्ली, देहरादून व खुर्जा में हो चुका है. वे अनेक नाटक लिखने के साथ ही अभिनय व निर्देशन में अच्छी दखल रखते हैं. अपने लोक के प्रति गहरी रुचि रखते हुए उन्होंने रवांई क्षेत्र की लोककथा ‘रथ देवता’ और लोकगाथा ‘गजू मलारी’ को लेकर ‘सफेद घोड़े का सवार’ और ‘एक प्रेमकथा का अंत’ जैसे चर्चित नाटक लिखे. अनेक विश्वविद्यालयों में उनके कथा साहित्य पर शोध हो चुके हैं और कहीं अब भी चल रहे हैं.आमजन
“इसके साफ मायने हैं कि
साहित्य आमजन के बीच अपनी पैठ बना रहा है. आमजन की सराहना व स्वीकार्यता से ही निश्चित रूप से रचनाकार का मान और हौसला बढ़ता है. इस सम्मान पाने के बाद आमजन के प्रति निश्चित रूप से मुझे अपनी जिम्मेदारी बढ़ने का अहसास हुआ है. बेहद अनौपचारिक व सादे ढंग से अपनों के बीच मिले इस सम्मान को पाकर मैं बेहद अभिभूत हूं और इसके लिए समिति का आभार व्यक्त करता हूं.”
समिति
भाषा-शोध एवं प्रकाशन केन्द्र वडोदरा (गुजरात)के ‘भारतीय भाषा लोक सर्वेक्षण, उत्तराखंड भाषा संस्थान के भाषा सर्वेक्षण तथा ‘पहाड़’ (नैनीताल) के बहुभाषी शब्दकोश में रवांल्टी
पर काम करने के साथ ही उन्होंने ही सबसे पहले रवांल्टी में कविता लिखने की शुरुआत की थी और रवांल्टी का पहला कविता संग्रह ‘गैणी जण आमार सुईन’ सामने आया था. उनकी कविता ‘डऽर’ पर पर गाए गीत ‘आंईर दादा कथु कु डऽर’ को लोगों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित ‘लोकभाषा एवं बोली संवर्द्धन परिषद’के वे माननीय मुख्यमंत्री द्वारा मनोनीत सदस्य भी रहे.आभार
समिति द्वारा बेहद सादे ढंग से दिए गए इस सम्मान को लेकर साहित्यकार महावीर रवांल्टा कहते हैं कि इसके साफ मायने हैं कि साहित्य आमजन के बीच अपनी पैठ बना रहा है.
आमजन की सराहना व स्वीकार्यता से ही निश्चित रूप से रचनाकार का मान और हौसला बढ़ता है। इस सम्मान पाने के बाद आमजन के प्रति निश्चित रूप से मुझे अपनी जिम्मेदारी बढ़ने का अहसास हुआ है. बेहद अनौपचारिक व सादे ढंग से अपनों के बीच मिले इस सम्मान को पाकर मैं बेहद अभिभूत हूं और इसके लिए समिति का आभार व्यक्त करता हूं.साहित्यकार
इस अवसर पर उपेन्द्र सिंह
चौहान, राकेश भट्ट, राधेश्याम गैरोला, प्रवीण, खजानचंद, मालचंद,मनोज कोटला,एम एस रावत, शीशपाल रावत, जगजीवन ठाकुर,एम पी शर्मा, विजेन्द्र,छोटू मेहर, मुकेश, पूर्व अध्यक्ष जगमोहन परमार, दिनेश राणा, बबेंद्र पंवार आदि लोग उपस्थित रहे.