पुरोला—मोरी: भेड़ पालकों का जीवन बीमा करने की मांग!

  • नीरज  उत्तराखंडी

भेड़ पहाड़ की  आर्थिकी की रीढ़ है लेकिन उचित  प्रोत्साहन न मिलने से भेड़ -बकरी पालन व्यवसाय  दम तोड़ता  नजर आ रहा है. आधुनिक सुख सविधाओं की ओर दौड़ती युवा पीढ़ी पारम्परिक व्यवसाय भेड़ बकरी पालन से विमुख होती जा रही है. जिसकी एक बडी वजह भेड़ पालकों की सरकारी अनदेखी भी शामिल है. उचित सहयोग प्रोत्साहन न मिले से युवा पीढ़ी इस पुश्तैनी  व्यवसाय  से  मुख मोड़ने लगी है. पहाड़ की जवानी रोटी रोजगार की तलाश  में  मैदान  की खाक छान रही है.आज के युवक भेड़ पालन व्यवसाय पर रुचि नहीं ले रहे हैं. जिससे लगातार भेड़-बकरी व्यवसायियों की संख्या में भारी गिरावट आ रही है.

उच्च हिमालय की  सुन्दर घाटियों में समुद्रतल से  3566 मीटर (11700 फीट) की ऊंचाई पर भेड़ पालक बेखौफ मौसम की मार झेल कर  भेड़ बकरी व्यवसाय पालन करते है. प्रतिकूल परिस्थितियों में धूप, बारिश, सर्दी  आसमानी  बिजली  के संकट से जूझते  हुए बुग्यालों में डटे रहते हैं और जोखिमपूर्ण  जीवन जीते है. यही वजह है कि पहाड़ के लोगों का जीवन पहाड़ जैसे होता है.

जनपद  के मोरी विकास खंड के फते पर्वत, नौगांव प्रखंड के सरनौल, गीठ, पुरोला के सरबडियार एवं भटवाड़ी के उपला टकनौर पट्टी के भेड़-बकरी पालकों का अधिकांश समय इन बुग्यालों में ही बीतता है.

ग्राम प्रधान खेड़मी एवं जिला प्रधान संगठन के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र देवजानी भेड़ पालकों की सुध लेने फते पर्वत के थांगा, रैसोड़ा, बाली पास की कठिन पगडंडियों से 48 घण्टे पैदल चलकर बुग्यालों में पहुंचे और  भेड़पालों की कठिनाईयों को करीब से जाना और महसूस किया उनकी समस्याओं व संकट  को  मीडिया से साझा किया .

बुग्यालों से लौटकर ग्राम प्रधान खेड्मी सुरेन्द्र देवजानी ने बुधवार को अपने अनुभवों को मोरी में बीबीसी की बैठक में साझा करते हुए भेड़ पालकों को हिम वीर की संज्ञा देकर सरकार से भेड़ पालकों का जीवन बीमा कराने की मांग उठाई है. भेड़ पालक शरद ऋतु की हाड़कपाती सर्दी सहित भारी बरसात व आकाशीय बिजली के संकट, से जूझते हुए  डाबली, कम्बल के सहारे  कठिन वक्ता गुजारते  है.

सुरेन्द्र सिंह बताते हैं कि रैसोडा, थांगा, बाली पास  ऊंचाई वाले  क्षेत्र  में भेड़ पालक वर्ष में दो माह के लिए  बर्फ से ढके बुग्यालों  ग्लेशियर के  खतरों बीच में रहकर अपनी जिन्दगी की प्रवाह किए बिना  रहते है.

भेड़ पालक पड़ोसी राज्य हिमाचल के किनौर, चाइना बॉर्डर से जुड़े बुग्यालों में एक सच्चे सिपाही  के भांति भेड़, बकरी चुंगान के साथ-साथ हमारे सीमाओं में होने वाली गतिविधियों को साझा कर  रक्षा करते हैं .

ग्राम प्रधान खेडमी सुरेंद्र सिंह देवजानी ने भेड़ पालक व्यवसायियों का जीवन बीमा करने की मांग के साथ सरकार से देवसू, थांगा, त्यथांगा, छोनी के पास छोटे छोटे वैकल्पिक पुलियां बनाने के लिए वन विभाग से मांग की है. जिससे की भेड़, बकरियों को लाने जाने में आसानी हो  सके और कोई पशु हानि न हो, चाइना बॉर्डर, किनोर से ये बुग्याल जुड़े हुए है.

बता दें कि विकास खण्ड मोरी के  दर्जनों गांव का मूल व्यवसाय कृषि बागवानी भेड़ पालन पर निर्भर हैं.खेडमी, देवजानी, जीवाणू, बड़ासू, फते पर्वत, पंजगाई पट्टी सहित सिंगतूर पट्टी पुरोला सरबडियार,बड़कोट   के सरनौल में  भेड़ पालन व्यवसाय  पर  आजीविका निर्भर  है .

जिला प्रधान संगठन के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र सिंह के साथ में भेड़ पालक विनेश पंवार, दीपक पंवार, मनोज पंवार, दाना राम, रमेश पंवार, पलवीर चौहान शामिल थे.

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